Saturday, October 31, 2015

I can change my destiny

पुरूषार्थ से बदले अपना भाग्य ।
श्री गुरुदेवदत्त ।।

प्रिय मित्रों शास्त्र कहता है कि भाग्य बड़ा प्रबल है, मगर पुरुषार्थ द्वारा भाग्य को को बदला जा सकता है। यानी जरुरत है दवा और दुआ के बीच तालमेल बैठाने की। अन्दर की ज्योति और बाहर की ज्योति दोनों काम करें तो बात बनती है। आंख में ज्योति हो और बाहर प्रकाश हो तो आंखें काम करती हैं। बाहर सूर्य निकला हो, मगर आंखों में ज्योति न हो तो अन्धेरा रहता है। फिर भी कहा गया अपनी तरफ से कोई कसर बाकी न रखें।

पुरुषार्थ छोड़ें नहीं पूर्ण पुरुषार्थी होकर कार्य में लगें और साथ में प्रभु से आशीर्वाद भी मांगें। मेहनत करें, उसकी रहमत जरूर होगी। व्यक्ति सोचता है कोई अवतार आएगा कल्याण करने के लिए हर समय भाग्य के भरोसे बैठकर जिंदगी की समस्याओं से मुंह मोड़कर बैठ जाता है, परिश्रम करना नहीं चाहता।

किसी के बल पर आप सुखी नहीं रहेंगे अपनी समस्याओं से स्वयं जूझना होगा। अपने भाग्य के निर्माता आप हैं अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करें। जगत् में कोई ऐसा नहीं जो आपका भाग्य बदल पाएगा। आप ही अपने भाग्य विधता हैं अपने अन्दर के उस दीए को जलाइए जिसकी रोशनी में सारा संसार देवत्व की ओर जाता दिखाई दे।

जो व्यक्ति सदा सीखने को तैयार रहता है, उसके अन्दर सबकुछ हो सकने की संभावना रहती है। इसलिए कुछ न कुछ ऐसा करते रहिए जिससे आपके मन का बगीचा खुशियों से भर जाए और आप भाग्यशाली बनें।

भागवत महापुराण में कहा गया है कि, आप चाहते हैं आपका भाग्य फले, भाग्य सौभाग्य बन जाए तो छः चीजें अपनाएं। इस पवित्र ग्रंथ का यह सन्देश बड़ा ही अद्भुत है इसे अपने जीवन में अपनाएं। सबसे पहली चीज है, पुरुषार्थ। पुरुषार्थ लगातार कीजिए काम से जी चुराकर मत बैठें। केवल हाथ जोड़ने से ही बात नहीं बनती पुरुषार्थ भी जरूरी है। हाथ जोड़े रहें, सिर झुका रहे, लेकिन हाथ पुरुषार्थ की ओर बढते रहें। दूसरी चीज है हिम्मत। हिम्मत कभी नहीं छोड़ना, साहस बनाए रखना।

जीवन में समस्याएं तो पग-पग पर हैं, निराश होकर न बैठें, साहस के साथ समस्या का सामना करें। समस्या से जो पार जाएगा वही आगे बढ़कर हर चुनौतियों का सामना कर पाएगा। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा जीवन में जागना है, भागना नहीं। दुःख को प्रसन्नता में, कायरता को वीरता में बदलो। वीर तो एक बार मरकर वीरागति को प्राप्त करता है, कायर तो दिन में हजार बार मरता है।

अन्दर साहस हो तो कोई भी चीज कितनी भी शक्तिशाली हो, आपको दबा नहीं सकती। जो व्यक्ति आलस्य में सोया पड़ा है, उसके लिए कलियुग है, जिसने अंगड़ाई लेनी शुरू की उसके लिए द्वापर युग है, जो उठकर खड़ा हो गया, उसके लिए त्रेतायुग है और जो कार्य में लग गया उसके लिए सत्युग शुरू हो गया और उसका भाग्य सौभाग्य में बदल गया।
ॐ साईंराम या काज़ी ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Friday, October 30, 2015

Karwa choth vrat an analysis

करवा चौथ की व्रत विधि और पूजा मुहूर्त
श्री गुरुदेवदत्त ।।
पूजा मुहूर्त
सायंकाल 05:04 से 06:19 बजे तक
चितौड़ में चंद्रोदय
रात 08 बजकर 21 मिनिट पर ।

प्रिय विवाहित मित्रो करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएँ बड़ी धूम-धाम और श्रद्धापूर्वक करेंगी। करवा का अर्थ मिट्टी के बर्तन‘ और ‘चौथ’ का अर्थ चार होता है। यह कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को धूम-धाम से मनाया जाता है।

करवा चौथ के व्रत के अनुष्ठान एक नज़र में

करवा चौथ पति और पत्नी के रिश्ते के बीच के अटूट बंधन और प्रेम को दर्शाता है। पत्नियाँ अपने पति की दिर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास और भगवान से प्रार्थना करती हैं। सास अपनी बहु को सरगी (पाँच से सात प्रकार के खाने वाले व्यंजनों से सजी थाली) देती हैं जिसे बहु सूर्योदय से पहले खाती है। बदले में बहु के मायके से सास के लिए भी बाया (उपहार और खाने का सामान) आता है।

पारंपरिक परिधानों से बनाएँ त्यौहार को ख़ास

करवा चौथ ही एक ऐसा दिन है जब आप खु़द को चाँद से भी ख़ूबसूरत साबित कर सकती हैं। इसके लिए पारंपरिक कपड़े जैसे साड़ी और गहने पहनें। संभव हो तो सोलह शृंगार करें और अपने पति को बताएँ कि मैं चाँद से किसी भी मायने में कम नहीं हूँ।

सोलह शृंगार की बात करें तो इसमें निम्नलिखित शृंगार की वस्तुएँ शामिल हैं:

माँग टीका ,मंगलसूत्र , मेहंदी , बिंदी ,बाजुबंद बिछिया ,चुड़ियाँ  सिन्दूर काजल कमरबंद  नाक की बाली कान की बाली अंगूठी फूलों का गजरा पायलऔर इत्र ।

करवा चौथ पूजा विधि
सायंकाल में पूजा स्थल पर एकत्र होकर वहाँ का स्थान साफ करके मिट्टी से लीपें।
देवी पार्वती की मूर्ती पूजा स्थल पर रखें।
किसी बुजूर्ग महिला के मुख से करवा चौथ की व्रत कथा ध्यानपूर्वक सुनें।
अब करवा और पूजा थाली, जल, दीप, चावल, रोली, मठरी को एक जगह व्यवस्थित करें।
अब इस थाली को पारंपरिक गीत गाते हुए गोलाकार रूप में बैठकर एक दूसरी महिलाओं की ओर बढ़ाएँ।
उस थाली को घर के बड़े सदस्य को दें और सुख-समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
चंद्रोदय के बाद चलनी छलनीसे अपने पति का दिदार करें उसके बाद चाँद की ओर देखते हुए पति के दिर्घायु और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
इसके बाद पति अपनी पत्नियों को मिठाई और पानी पिलाकर उपवास को खोलें।

करवा चौथ के दिन गाया जाने वाला गीत

पहले छः फेरी के लिए इन पंक्तियों को गाएँ:

वीरो कुड़िये करवडा
सर्व सुहागन करवडा
ए कट्टी नया अटेरी ना खुम्ब चरख्रा फेरी ना
आर पैर पायीं ना
रुठ्दा मनियें ना
सुथडा जगाईं ना
ले वीरा कुरिय करवाडा
लै सर्व सुहगन करवाडा

सातवीं फेरी के लिए इन पंक्तियों को गाएँ:

वीरो कुड़िये करवडा
सर्व सुहागन करवडा
ए कट्टी नया अटेरी नी
खुम्ब चरख्रा फेरी भी
आर पैर पायीं भी
रुठ्दा मनियें भी
सुथडा जगाईं भी
ले वीरा कुरिय करवाडा
लै सर्व सुहागन करवाडा

इस करवा चौथ दें अपनी पत्नी को ख़ास उपहार

एक बार फिर से अपनी पत्नी को शृंगार की ढेर सारी वस्तुएँ और उपहार स्वरूप उनकी पसंद का ख़ास गिफ़्ट देकर बता दें आप ही दुनिया के सबसे अच्छे पति हैं।

आपके पति भी हैं उपहार के हकदार

आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आपके पति आपकी ख़ुशियों के लिए क्या-क्या करते हैं ताकि आप ख़ुश रहें। इसलिए इस करवा चौथ उनके लिए भी कोई विशेष उपहार ख़रीदें या ख़ुद ही तैयार करें और उन्हें इस बात का अहसास करा दें कि आप भी उनका बहुत ख़्याल रखती हैं।

इन्हीं जानकारियों के साथ आप सभी को करवा चौथ की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आपके दाम्पत्य जीवन में अपार ख़ुशियाँ आएँ यही हमारी प्रभु से कामना है।
ॐ साईंराम या हक क़ाज़ी ।
सदैव आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053