Sunday, March 31, 2024

Chaitra Navraatri(चैत्र नवरात्रि 2024)

चैत्र नवरात्रि-2024

दुर्लभ योग संयोग एवं ग्रह नक्षत्रों में होगी माँ दुर्गा की उपासना

सनातन धर्म में मां भगवती की उपासना के लिए नवरात्रि पर्व के नौ दिनों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सनातन धर्म में  माघ मास के शुक्ल पक्ष  और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्रि के साथ मुख्यतया माँ के उपासको द्वारा वर्ष में दो नवरात्रि पर उपासना सहित अनेक अनुष्ठान किया जाते है ,जिसमे सबसे प्रथम अनुष्ठान   चैत्र नवरात्रि से ही प्रारम्भ होता है ।हिंदू पंचांग के आधार पर  चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होकर  नवमी तिथि पर इस पर्व का समापन होता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान मां नव दुर्गा की उपासना करने से जीवन के समस्त संकटों का समाधान होकर जीवन में खुशहाली का संचार होता है । और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।                                          इन शुभ योगों में होगी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत

हिंदू पंचांग के आधार पर  ज्योतिषाचार्य  डॉ. संजय गील ने बताया की हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2081 और चैत्र नवरात्रि में कई शुभ योग निर्मित हो रहे है , जिसमे  चैत्र नवरात्रि की शुरुआत अमृत सिद्धि योग  के साथ होगी साथ ही इन नों दिवसों में पांच बार रवि योग , तीन बार सर्वार्थ सिद्धि योग  भी रहेंगे । मान्यता है कि   इन शुभ योगों में चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करने के भक्तों को पूजा पूर्ण फल प्राप्त होता है । इसी प्रकार  ज्योतिषीय आधार पर गुरु आदित्य योग का निर्माण हो रहा है , जिसके अंतर्गत चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि पर शनिवार, 13 अप्रैल को रात्रि में सूर्य ग्रह का मेष राशि में प्रवेश होगा  मेष राशि में पहले से ही देव गुरु बृहस्पति उपस्थिति रहेंगे। ऐसे में मेष राशि में सूर्य और गुरु की युति बनेगी, जिसे ज्योतिष में गुरु आदित्य योग कहा जाता है. इस योग को धर्म-कर्म और आध्यात्म से जुड़े कार्यो के  लिए शुभ माना गया  है।

चैत्र नवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त

हिंदू  पंचांग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की   चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल रात्रि 11:50 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 09 अप्रैल रात्रि 08:30 पर होगा ।हिंदू धर्म में उदया तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैअतः  चैत्र नवरात्रि पर्व का शुभारंभ 09 अप्रैल 2024, मंगलवार के दिन होगा ।  इस चैत्र नवरात्र में  मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी, जिसे शास्त्रो के अनुसार  उत्तम नहीं माना गया है, मान्यता है कि माँ दुर्गा के घोड़े की सवारी पर आने से सत्ता विरोध और परिवर्तन के योग भी बन सकते हैं अतः घट स्थापना सिद्ध मुहूर्त में ही करनी चाहिये।                                                            घटस्थापना मुहूर्त- 09 अप्रैल 2024 मंगलवार को सुबह 06:02 से                             सुबह 10:16 तक।

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त -  सुबह 11:57 से दोपहर 12:48 तक।

ब्रह्म मुहूर्त : प्रात: 04:31 से प्रात: 05:17 तक।

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:57 से दोपहर 12:48 तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से दोपहर 03:21 तक।

गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:42 से शाम 07:05 तक।

अमृत काल : रात्रि 10:38 से रात्रि 12:04 तक।

निशिता मुहूर्त : रात्रि 12:00 से 12:45 तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 07:32 से शाम 05:06 तक।

अमृत सिद्धि योग : सुबह 07:32 से शाम 05:06 तक। 

चैत्र नवरात्रि 2024की प्रमुख तिथियां-

09 अप्रैल 2024, मंगलवार- मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना

10 अप्रैल 2024, बुधवार- मां ब्रह्मचारिणी पूजा                            11 अप्रैल 2024, गुरुवार- मां चंद्रघंटा पूजा

12 अप्रैल 2024, शुक्रवार- मां कुष्मांडा पूजा

13 अप्रैल 2024, शनिवार- मां स्कंदमाता पूजा

14 अप्रैल 2024, रविवार- मां कात्यायनी पूजा

15 अप्रैल 2024, सोमवार- मां कालरात्रि पूजा

16 अप्रैल 2024, मंगलवार- मां महागौरी पूजा और दुर्गा महाअष्टमी पूजा

17 अप्रैल 2024, बुधवार- मां सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी और रामनवमी

18 अप्रैल 2024, गुरुवार- दुर्गा प्रतिमा विसर्जन

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Dr. Sanjay Geel

President

Sai Astrovision Society, Chittorgarh

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Saturday, March 9, 2024

वृद्वि एवं ध्रुव योग में मनाया जायेगा रंगों का त्यौहार होली

 भद्राकाल और चन्द्रग्रहण का नही रहेगा प्रभाव

वृद्वि एवं ध्रुव योग में मनाया जायेगा रंगों का त्यौहार होली

सनातन धर्म में होली  पर्व का विशेष स्थान है। हिन्दू पंचांग के आधार पर फाल्गुन मास की पूर्णिमा सहित दो दिवस तक रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। होली बसंत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि भद्रा और चन्द्र ग्रहण की उपस्थिति में इस वर्ष 24 मार्च 2024 को होलिका दहन और 25 मार्च 2024 को धुलंडी पर्व मनाया जाएगा।  हालांकि चन्द्र ग्रहण और भद्रा का प्रभाव होली पर्व पर लागू नही होगा।

ये है लोक मान्यता

 मान्यता है कि होली पर्व  इसलिए  मनाया जाता है, क्योकि स्वयं को भगवान से भी बड़ा मानकर  हरिण्यकश्यप श्री हरि की भक्ति में लीन भक्त प्रह्लाद को बहन होलिका की सहायता से जलाने चला था, किन्तु हरि कृपा से होलिका का स्वयं नाश होने से इस दिवस होली और अगले दिवस धुलंडी पर्व होता है।

इसी प्रकार प्राचीन मान्यता यह भी है कि सबसे पहले बृज में राधा-कृष्ण ने होली के त्योहार की शुरुआत की थी। वहीं काशी के मणिकर्णिका घाट में भगवान शंकर द्वारा श्मशान में होली खेलने और इसी तरह से अवध में भगवान राम और माता सीता के होली खेलने का उल्लेख भी शास्त्रों में मिलता  है।

होलिका दहन :शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि इस वर्ष होलिका पर्व पर दो शुभ योग बन रहे है, जिसमे वृद्वि योग रात्रि 09:30 तक है, वही ध्रुव योग 24 मार्च को सम्पूर्ण दिवस रहेगा

पूर्णिमा तिथि :

24 मार्च 2024 को प्रातः 8.13 बजे से 25 मार्च 2024, प्रातः 11.44 बजे तक।

होलिका दहन मुहूर्त

रात्रि11:13 से प्रात: 12:07 तक 

होलिका दहन अवधि:1 घंटा 20 मिनट

होलिका दहन और भद्राकाल

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा भी है जो कि प्रातः  09 बजकर 54 मिनट से रात्री 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी।हालिका दहन के दिन भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर सुबह 09:54 बजे से दोपहर 02:20 बजे तक है, वहीं भद्रा का वास पाताल लोक में दोपहर 02:20 बजे से रात 11:13 बजे तक है। ज्योतिषीय आधार पर पृथ्वीलोक की  भद्रा ही हमारे लिए प्रभावी मानी गयी है, अतः शेष समय मे भद्रा का प्रभाव लागू नही होगा।

Tuesday, March 5, 2024

विजया एकादशी पर शुभ मुहूर्त में उपासना करने से मिलेगी शत्रु विजय एवं रोगों से मुक्ति

 विजया एकादशी

शुभ मुहूर्त में उपासना करने से मिलेगी शत्रु विजय एवं रोगों से मुक्ति

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का व्रत शत्रु, रोग, आदि पर विजय प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरूप भगवान राम को लंका में विजय प्राप्ति का वरदान मिला था। हिन्दू पंचांग सहित अन्य शास्त्रो में भिन्नता के कारण इस वर्ष  एकादशी की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है।

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि इस बार विजया एकादशी दोनो ही दिवस अर्थात  6 मार्च को गृहस्थ और  7 मार्च  को वैष्णव धर्मावलंबियों के लिये रहेगी।इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 6 मार्च 2024 सुबह 6.30 मिनट पर होगी और इसका समापन 7 मार्च की सुबह 4.13 मिनट पर हो जाएगा।

*विजया एकादशी 2024 मुहूर्त 

विष्णु पूजा समय - सुबह 06.41 - सुबह 09.37 (6 मार्च 2024)

वरीयान योग -  6 मार्च 2024, सुबह 11.33 - 7 मार्च 2024, सुबह 08.24

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05.02 - सुबह 05.51

विजया एकादशी का व्रत पारण - दोपहर 01.43 - शाम 04.04 (7 मार्च 2024- गृहस्थ)

विजया एकादशी व्रत पारण - सुबह 06.38 - सुबह 09.00 (8 मार्च 2024 - वैष्णव)

राशि अनुसार ये करे उपाय

ज्योतिर्विद डॉ  ने बताया कि विजया एकादशी को समस्त जातको के लिए जीवन मे सफलता का मार्ग प्रशस्त करने वाली माना गया है। तदापि राशिअनुसार ये उपाय करने चाहिये

मेष राशि - मेष राशि के जातक विजया एकादशी पर पीपल के पेड़ में जल अवश्य चढ़ाएं, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

वृषभ राशि-  सुख-शांति के लिए वृषभ राशि वाले विजया एकादशी पर गीता पाठ करें।

मिथुन राशि - मिथुन रशि के जातक विजया एकादशी के दिन अपने घर में ईशान कोण में मिट्टी के कलश में पानी भरकर रखें और उसमें दूर्वा घास डालें। इस कलश को ढककर इसके ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति रख दें।भगवान विष्णु की पूजा करें।

कर्क राशि - कर्क राशि के जातक विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”का जाप करें।

सिंह राशि - दाम्पत्य जीवन में खुशहाली के लिए सिंह राशि के जातक  सूजी का हलवा बनाएं और इस में केसर डालकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं।

कन्या राशि - कन्या राशि के जातक इस दिन गौ दान या फल का दान करें।

तुला राशि - तुला राशि के जातक यदि विजया एकादशी के दिन तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं और श्रीहरि चालीसा का पाठ करें।

वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातक विजया एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियां लेकर उन पर हल्दी का तिलक लगाएं और इन पत्तियों को भगवान विष्णु को अर्पित कर दें ।

धनु राशि - विजया एकादशी पर धनु राशि वाले केसर मिश्रित जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।

मकर और कुंभ राशि - मकर राशि के जातक विजया एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगा जल भर भगवान विष्णु को अर्पित करें।

मीन राशि -  विजया एकादशी पर मीन राशि वाले 11 कौड़ियों में हल्दी लगाकर चरणों में चढ़ाएं।