Tuesday, April 30, 2024

बृहस्पति गोचर 2024(Jupiter transit 2024

 देव गुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन 13 वर्षो  बाद बनने जा रहा  अद्भुत संयोग

वैदिक ज्योतिष गणना में  ग्रह परिवर्तन को  बहुत महत्वपूर्ण घटना माना गया है एवं  जब भी कोई ग्रह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो मनुष्य पर इसका कम ज्यादा प्रभाव अवश्य ही पड़ता है । हिंदू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस  मई के महीने में कई बड़े ग्रहों का गोचर होने जा रहा है जिसमें सबसे प्रमुख देव गुरु बृहस्पति का गोचर है । बृहस्पति का यह गोचर लगभग 13  वर्षो बाद आज दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होने जा रहा है जो कई राशियों के लिए धन लाभ और करियर में अपार सफलता लेकर आएगा, वही कुछ राशि के जातको को मिश्रित फल देने वाला साबित होगा ।

13 वर्षों बाद वृषभ राशि में होगी गुरु,शुक्र एवं सूर्य  की युति

हिंदू पंचाग के आधार पर 14 मई को सूर्य ग्रह का गोचर होने जा रहा है । ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है ।  इसी प्रकार  19 मई को शुक्र ग्रह मेष राशि से निकलकर अपनी स्वराशि वृषभ में चले जाएंगे । इस प्रकार 12 वर्ष बाद वृषभ राशि में गुरु,शुक्र और सूर्य की युति भी देखने को मिलेगी ।

 बृहस्पति का विविध राशियों पर प्रभाव और उपाय

बृहस्पति  ग्रह को भाग्य का कारक माना गया  है और  कुंडली में अगर गुरु की स्थिति मजबूत होती है  तो जीवन में कम मेहनत में भी बड़ा फल मिलता है। मान्यता है कि गुरु को मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन दान-पुण्य और विष्णु भगवान की पूजा जरूर करनी चाहिए। गुरु का यह  गोचर कई राशियों के लिए शुभ परिणामों वाला तो अन्य के लिये मिश्रित परिणामो वाला रहेगा । मुख्यतः राशि परिवर्तन के इस प्रभाव को लग्न एवं चन्द्र कुंडली के आधार पर देखना चाहिये । 

मेष राशि: धीरे-धीरे समय के साथ प्रयासों का फल मिलने लगेगा ,नए अवसर मिल सकते हैं और व्यवसाय में भी लाभ हो सकता है.  वही जन्मकुंडली में अशुभ होने पर करियर, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती हैं । नियमित रूप से पिता और गुरु को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें। 

वृषभ राशि: वृषभ राशि के लिए यह गोचर बहुत शुभ होगा. करियर, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में आपको खुशियां मिलेंगी, लेकिन  अपनी वाणी पर थोड़ा ध्यान रखना होगा  गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करें और पीले रंग के फूल अर्पित करें।

मिथुन राशि:- काम में सफलता और  नए अवसर मिल सकते हैं  मिथुन राशि के लिए यह गोचर शुरुआती दौर में कुछ खर्च और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां लेकर आ सकता है । गुरुवार को गाय को चने की दाल और गुड़ के आटे की लोई खिलाएं।

कर्क राशि:- करियर, धन और पारिवारिक जीवन में आपको खुशियां मिलेंगी हालांकि, आपको अपने स्वास्थ्य का थोड़ा ध्यान रखना होगा । प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें और जल चढ़ाएं।

सिंह राशि:- सिंह राशि के लिए यह गोचर मिश्रित रहेगा एवं करियर में कुछ परेशानियां आ सकती हैं । जरूरतमंद छात्रों को स्टेशनरी का सामान दान करें।

कन्या राशि:-  करियर, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में खुशियां मिलेंगी ।  घर पर सत्यनारायण पूजा करें या कोई धार्मिक कार्य करें।

तुला राशि :- यह गोचर मिश्रित रहेगा. करियर में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं । गुरुवार के दिन पुजारी को बूंदी के लड्डू दान करें। भूखे लोगों को खाना खिलाएं। 

वृश्चिक राशि:- करियर, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में खुशियां मिलेंगी । रोज 108 बार बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें । 

धनु राशि:- स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में खुशियां मिलेंगी । विष्णु सहस्त्रनाम का नित्य पाठ करे । 

मकर राशि:-  करियर, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में खुशियां मिलेंगी । गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं ।

कुंभ राशि :- कुंभ राशि के लिए यह गोचर मिश्रित रहेगा । करियर में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं । गुरुवार का व्रत करें और अपने का सम्मान करें ।

मीन राशि: धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में खुशियां मिलेंगी. पीले रंग के कपड़े अधिक पहनने का प्रयास करें। पीले रंग का रुमाल अपने पास रखें ।

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Sunday, April 21, 2024

श्री हनुमान जयंती 2024

 श्री हनुमान जयंती 2024

चित्रा नक्षत्र में हनुमान उपासना से मिलेगी अंगारक दोष से मुक्ति

कलयुग में रुद्रावतार श्री हनुमान जी  को संकटमोचन कहा जाता है। कलयुग में जागृत देवताओ में से एक हनुमान जी की पूजा करने से आप हर प्रकार के संकट और बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं और भक्तों को हनुमान जी हर भय, पीड़ा से मुक्त रखते हैं। इसी संबंध में शिव अवतार हनुमान जी की स्तुति का दिन का प्रमुख दिवस अर्थात  हनुमान जन्मोत्सव इस वर्ष मंगलवार,23 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा करने का विशेष महत्व है ,क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत करने के अलावा बूंदी, हलवा, लड्डू जैसी मीठी चीजों का भोग लगाने से हनुमान की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है।

शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि  चैत्र पूर्णिमा  तिथि 23 अप्रैल 2024 को प्रातः 3:25 बजे से शुरू प्रारंभ होकर 24 अप्रैल 2024 को प्रातः 5:18 बजे समाप्त होगी अतः हनुमान जयंती मंगलवार 23 अप्रैल को ही है। ऐसे में भक्तगण प्रातः 3:25 से लेकर अगले दिवस की प्रातः 5:18 बजे तक के बीच हनुमान जी के निम्मित पूजा अनुष्ठान कर सकते हैं। इस समयकाल में पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेगा।

इस संयोग में मिलेगी अंगारक दोष से मुक्ति

इस वर्ष हनुमान जयंती का महत्व इसलिये भी ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि हनुमान जयंती मंगलवार के दिन है। मान्यता है कि जब भी हनुमान जयंती मंगलवार या शनिवार के दिन हो तो भक्तो को विशेष कृपा प्राप्त होती है।ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि  इस दिन चित्रा नक्षत्र भी है, जिसके स्वामी स्वयं  मंगल है। इसी प्रकार हनुमान जयंती पर एक और संयोग बन रहा है कि इस दिन मंगल मीन राशि में गोचर कर रहे हैं जो कि राहु के साथ युति कर अंगारक योग का निर्माण करेगा।ऐसे में अगर इस हनुमान जयंती पर विशेष अनुष्ठान किये जायें तो जातको को कुंडली और बनने जा रहे अंगारक दोष से मुक्ति मिल सकती है।

ऐसे करे हनुमानजी को प्रसन्न

हनुमान जयंती पर आप सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी को प्रणाम करके उनका पांच बार नाम लेकर नमन करें। इसके बाद स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और हनुमान जी के प्रतिमा के सामने बैठकर सर्वप्रथम हाथ में जल लेकर 'ॐ केशवाय नम:, ॐ नाराणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ हृषीकेशाय नम: मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद सूर्यदेव  को नमन कर जल अर्पित करें। 

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बूंदी, लड्डू का प्रसाद जरूर चढ़ाएं। साथ ही हनुमान जयंती पर उन्हें केसरिया रंग का सिंदूर जरूर चढ़ाएं।

इस दिन राम स्तुति,हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ करने हनुमान जी की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बरसती रहती है।

मान्यता है कि हनुमान जी का दिल बहुत ही उदार हैं, इसलिए इनके भक्तो को भी हमेशा लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए और गरीब और जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। खासतौर पर आपको हनुमान जयंती पर गरीबों में अन्न जरूर बांटना चाहिए।

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Tuesday, April 16, 2024

राम नवमी पर दुर्लभ संयोग में बरसेगी मां दुर्गा एवं प्रभु श्रीराम की विशेष कृपा

 

राम नवमी पर  दुर्लभ संयोग  में बरसेगी मां दुर्गा एवं प्रभु श्रीराम की  विशेष कृपा

आज भारतवर्ष  में राम जन्मोत्सव एवं महानवमी  पर्व मनाया जा रहा है । वाल्मीकि रामायण के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, अभिजीत मुहूर्त और कर्क लग्न में भगवान राम का जन्म हुआ था एवं  राम नवमी चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिवस  भी  है । साथ ही  इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री का पूजा करने का विधान भी  है। मान्यता है कि महानवमी तिथि के साथ मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने के साथ कन्या पूजन करता है, तो उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व की प्राप्ति होती है ।

ये बन रहे दुर्लभ संयोग

ज्योतिषीय आधार पर इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिवस पर अनेक शुभ योगो का निर्माण हो रहा है । हिंदू पंचांग के  आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की राम नवमी के दिन आश्लेषा नक्षत्र, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। राम नवमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 16 मिनट से लेकर 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। वहीं पूरे दिन रवि योग का संयोग बनेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है। इन योगों में पूजा और शुभ कार्य करने पर सभी तरह के फलों की प्राप्ति होती है। रवि योग में सूर्य का प्रभाव रहने के कारण व्यक्ति को कई तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

साथ ही इस बार राम नवमी पर चंद्रमा कर्क राशि में मौजूद रहेगा।भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु राम का जन्म कर्क लग्न में ही हुआ था। इसी प्रकार  राम नवमी पर गजकेसरी योग का भी प्रभाव रहेगा। भगवान राम के जन्म के समय भी उनकी कुंडली में गजकेसरी योग का शुभ संयोग था, वही राम नवमी पर सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में विराजमान होकर दशम भाव में होंगे। 

इस शुभ  मुहूर्त में करें पूजन

मान्यता है कि भगवान श्रीराम का जन्म मध्याहन काल में चैत्र रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हुआ था  इस प्रकार  प्रातः 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक मर्यादा पुरूषोतम  भगवान श्रीराम की पूजा का अत्यंत  शुभ मुहूर्त है। 
नवमी तिथि प्रारम्भ- 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट तक।
नवमी तिथि समाप्त- 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 5 बजकर 16 मिनट से 6 बजकर 8 मिनट तक

मां सिद्धिदात्री मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

 

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ये करे विशेष उपाय :-

·       धन की कमी दूर करने के लिए राम नवमी की शाम को एक लाल कपड़ा लें और उस लाल कपड़े में 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग और 11 बताशे बांधकर महालक्ष्मी और भगवान राम को चढ़ाएं. इसके सात ही एक कटोरी में जल लेकर रामरक्षा मंत्र का 108 बार जाप करें और इस मन्त्रित जल को घर के हर कोने में छिड़क दें.

·       जीवन में सुख शांति बनाए रखने के लिए राम दरबार के सामने जाकर घी या तेल का दीपक जलाएं और 'श्रीराम जय राम जय जयराम' का 108 बार जाप करें.

·       संतान प्राप्ति के लिए राम नवमी के दौरान नारियल लें और लाल कपड़े में लपेटकर मां सीता को अर्पित करें और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करे

·       विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए राम नवमी को शाम के समय भगवान राम और माता सीता को हल्दी, कुमकुम और चंदन अर्पित करें और 'ॐ जय सीता राम' का 108 बार जाप करें.

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Saturday, April 13, 2024

Astrological solution to migraine problem

 Astrological solution to migraine problem 

Shri Gurudevdutt. 

You must have seen that many people remain sitting with their head down all day long. A little exposure to sunlight causes headache. Today, a simple solution to the problem of migraine is being explained here. Research has found that when Mercury is placed with a low or low planet in the horoscope, migraine problem occurs. Also, if Mercury is in conjunction with the Sun in the twelfth house or ascendant or makes visual relation with the Sun, then mainly intense migraine occurs.

Remedy: 

Fill a bronze vessel with ghee, cover it with whole moong dal and donate it to a Brahmin after rotating it around the head six times on Wednesday. In case of migraine and intestinal diseases, mix Ganga water in water every Wednesday and add Kusha in it and chant 'Budh Gayatri Mantra' 108 times. While chanting, keep holding Kusha with your hand. After chanting, drink the same water. This relieves migraine, stress, insomnia, restlessness, nervousness and fear of death. Wearing 5 carat emerald with Mercury Yantra. 

Om Sairam 

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माइग्रेन समस्या का ज्योतिषीय समाधान

 माइग्रेन समस्या का ज्योतिषीय समाधान

श्री गुरुदेवदत्त ।।

आपने देखा होगा की बहुत से लोग  दिन भर सिर को लेकर बेठे रहते है। थोडा सा धुप में निकले की सिर दर्द हो जाता है।आज यहाँ बताया जा रहा है माइग्रेन समस्या के निदान का सरल उपाय।

अनुसंधान में पाया गया है कि कुंडली में नीच या नीच ग्रह के साथ बुध बैठने पर माइग्रेन समस्या होती है।साथ ही बुध यदि द्वादश भाव या लग्न में सूर्य से युति करे या सूर्य से दृष्टि संबंध बनाए तो मुख्य रूप से तीव्र माइग्रेन होता है।

उपाय:

कांसे के पात्र में घी भर कर उसके ऊपर साबुत मूंग की दाल ढक कर बुधवार को सिर के चारों ओर छः बार घुमाकर ब्राह्मण को दान दें।माइग्रेन एवं आंतों के रोग में प्रत्येक बुधवार को जल में गंगाजल मिला लें और उसमें कुशा डालकर ‘बुध गायत्री मंत्र’ का 108 बार जप करें। जप करते समय कुशा को हाथ से पकड़े रहें। जप के बाद उसी जल को पी लें। इससे माइग्रेन, तनाव, अनिद्रा, बेचैनी, घबराहट तथा मृत्यु भय दूर होते है।बुध यन्त्र के साथ 5 कैरेट पन्ना पहने।

।।ॐ साईंराम।।

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Wednesday, April 10, 2024

How to know which are your inauspicious planets?

 How to know which are your inauspicious planets?

Shri Gurudevdutt. 

In astrology, the auspicious or inauspicious effect of any planet depends on the horoscope. If there is a planetary defect in the horoscope then one has to face many problems in life. 

People whose horoscope is not prepared or even if it is prepared has never been visible to any astrologer, in such a situation one should know which planet is giving inauspicious effect for them by looking at the symptoms mentioned below.

Sun-  A person affected by Sun gets separated from his father in his childhood itself. Disorders arise in his body such as eye diseases. He does not get the fame of which he is a part. He barely gets any sleep.

 Moon- The person affected by Moon faces water problem in his house. His imagination power becomes weak. Milk animals like cows and buffaloes are unable to survive in his house and the mother's health deteriorates. 

Mercury- A person affected by Mercury gets addicted to drugs, betting and gambling.

Jupiter- There is a delay in the marriage of a person affected by Jupiter. He starts losing his gold, his hair falls out, his education gets hampered and he becomes a victim of defamation. 

Venus- A person affected by Venus gets cheated in love. His thumb becomes useless, skin disorders develop and he suffers from hallucinations. 

Saturn- A person affected by Saturn is prone to arson in his house. His house gets destroyed, the hair on his eyelashes and eyebrows starts falling and he is surrounded by troubles.

Rahu- The nails of the person affected by Rahu fall off. If he keeps a dog in the house, it dies. He does not use his own intelligence. He has many enemies. 

Ketu- The nails of the feet of the person affected by Ketu fall, there is pain in the joints, there are urinary diseases and the son remains unwell.

 Om Sairam. 

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बिना जन्मपत्रिका के कैसे जाने आपके अशुभ ग्रह कोनसे है?

 बिना जन्मपत्रिका के कैसे जाने आपके अशुभ ग्रह कोनसे है?

श्री गुरुदेवदत्त ।।

ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली पर र्निभर करता है। कुंडली में ग्रह दोष हो तो जिन्दगी में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिन जातको की जन्मपत्रिका नहीं बनी होती अथवा बनी भी हो तो कभी किसी ज्योतिष को दिखाई न हो ऐसी स्थिति में नीचे बताए गए लक्षणों को देखकर यह जानना चाहिए कि आपके लिए कौन सा ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा है।

सूर्य- सूर्य से प्रभावित जातक का बाल्यावस्था में ही अपने पिता से संबंध विच्छेद हो जाता है। उसके शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते हैं जैसे नेत्र रोग। उसे वो यश नहीं मिल पाता जिसका वो भागिदार होता है। उसे नींद नाम मात्र आती है।

चंद्र- चंद्र से प्रभावित जातक के घर में पानी की समस्या रहती है। उसकी कल्पनाशक्ति कमजोर हो जाती है। उसके घर में दुधारू पशु जैसे गाय, भैंस जीवित नहीं रह पाते और माता का स्वास्थ्य बिगड़ा रहता है।

बुध- बुध से प्रभावित जातक को नशे, सट्टे व जुए की लत लग जाती है। उसकी बेटी व बहन पर सदैव दुख मंडराता रहता है।

गुरु- गुरु से प्रभावित जातक के विवाह में विलंब होता है। उसका सोना खोने लगता है, चोटी के बाल उड़ जाते हैं, शिक्षा में बाधा आती है और अपयश का शिकार होना पड़ता है।

शुक्र- शुक्र से प्रभावित जातक को प्रेम में धोखा मिलता है। उसका अंगूठा बेकार हो जाता है, त्वचा में विकार उत्पन्न होने लगते हैं और वह स्वप्नदोष से ग्रस्त रहता है।

शनि- शनि से प्रभावित जातक घर में आगजनी होता है। उसके घर का नाश हो जाता है, पलकों व भौंहों के बाल गिरने लगते हैं और वह मुसिबतों से घिरा रहता है।

राहु-  राहु से प्रभावित जातक के हाथ के नाखून झड़ जाते हैं। अगर वह घर में कोई  कुत्ता पालता है तो वह मर जाता है। वह स्वंयं की बुद्धी से काम नहीं लेता। उसके बहुत से शत्रु होते हैं।  

केतु- केतु से प्रभावित जातक के पैरों के नाखून झड़ जाते हैं, जोड़ों में दर्द रहता है, मूत्र संबंधित रोग होते हैं और पुत्र अस्वस्थ रहता है।

ॐ साईंराम ।।

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Saturday, April 6, 2024

हिंदू नव वर्ष 2081 में मंगल राजा तो शनि होंगे मंत्री

 हिंदू नव वर्ष 2081 में मंगल राजा तो शनि  होंगे मंत्री

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल2024 ,मंगलवार को है एवं सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में शुरू हो रहे नव विक्रम संवत्सर-2081 का नाम 'पिंगल' है। इस वर्ष ग्रह मंडल का राजा 'मंगल' और मंत्री 'शनि' होंगे। ज्योतिषीय आधार पर इस योग  से अनेक क्षेत्रों में परेशानियां बढ़ेंगी तो  रियल एस्टेट, सिनेमा, रंगमंच, शिक्षा व्यवस्था, नारी शक्ति,  और अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षेत्र में सुधार भी देखने को मिलेगा। 

सत्ता और शक्ति के सिद्धांत पर आधारित रहेगा ये नववर्ष

ज्योतिषीय आधार पर  नव संवत्सर 2081 में ग्रह मंडल का राजा 'मंगल' और मंत्री 'शनि' है,जिसमे सस्येश मंगल, धान्येश चंद्र, रसेश गुरु, नीरसेश मंगल, मेघेष शनि, फलेश शुक्र, धनेश मंगल और दुर्गेश शनि होंगे।और इनमें सात स्थानों पर क्रूर ग्रहों का अधिकार होगा और बाकी तीन स्थान सौम्य ग्रह को मिले हैं। राजा सहित कुल चार विभाग अकेले मंगल के अधीन हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल और शनि दोनों बहुत प्रचंड हैं। साथ ही  मंगल के कारण जिसमे ताकत उसकी सत्ता  वाली स्थिति बनेगी। वहीं, शनि के कारण व्यक्तियों को कर्म के आधार पर फल भुगतने होंगे।

ज्योतिषीय मान्यता के आधार पर नवसंवत्सर के प्रवेश की लग्न राशि 'धनु' होने से गुरु पंचम त्रिकोण में मित्र राशि में है। इससे सत्ता में बैठे व्यक्ति की बुद्धिमत्ता से परिस्थितियों का समाधान निकलेगा। इसके साथ भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी। वहीं, राजनीतिक उथल-पुथल रहेगी। तूफान, भूकंप, प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि की आशंका है। इसके साथ पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा। झुलसा देने वाली गर्म हवाओं से पशु-पक्षी, फल-फूल, वनस्पतियों को नुकसान होगा।

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Wednesday, April 3, 2024

दशा माता के व्रत से दुख, दारिद्रय का नाश होकर होगा परिवार में सुख समृद्धि का संचार

 दशा माता के व्रत से दुख, दारिद्रय का नाश होकर होगा परिवार में  सुख समृद्धि का संचार
 

हिंदू परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र कृष्ण दशमी पर महिलाओ द्वारा  घर की दशा सुधारने के लिए दशामाता  का पूजन और अनुष्ठान किया जाता है  । मुख्यतः इस दिन व्रत रखकर पीपल के वृक्ष का पूजन तथा कथा का श्रवण किया जाता है। महिलाएं कच्चे सूत के धागे में 10 गठान लगाकर इसे गले में स्वर्ण हार के रूप में ग्रहण करती हैं।  शास्त्रों के अनुसार मान्यता है इससे दुख, दारिद्रय का नाश होता है तथा परिवार में सुख समृद्धि आती है।ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील  ने बताया हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं दशा माता से दशविध लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजन में हल्दी से रंगे हुए सूत के कच्चे धागे में 10 गठान लगाकर पूजा अर्चना करने का महत्व है।

महिलाएं मां से मनोकामना मांगते हुए धागे में 10 गठान लगाती है। इसके बाद पूजा अर्चना कर इसे गले में पहनती है। बाद में इस धागे को घर की तिजोरी में रखा जाता है। मान्यता है इससे घर परिवार में वर्षभर सुख समृद्धि बनी रहती है। अगले वर्ष जब महिलाएं फिर से दशा माता का पूजन करने जाती है। तिजोरी में रखे धागे को साथ लेकर जाती है, इस धागे को पीपल के वृक्ष के समीप पूजन स्थल पर रख देती है और नई दशा घर लेकर आती हैं।

दशा माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

दशा माता की पूजा के बारे में बताया जाता है कि होली के दूसरे दिन से ही महिलाएं दशा माता की 10 दिन तक अलग अलग कथा सुनती हैं। फिर चैत्र मात्र के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा अर्चना करती हैं और फिर पीपल के पेड़ के पास जाकर पूजा अर्चना करती हैं।  गुरूवार, 4 अप्रैल को महिलाएं दशा माता की पूजा सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 2 मिनट तक एवं प्रातः 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक कर सकती हैं।

ये किया जाता है दशा माता के  व्रत में -  

  • इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं।
  • इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है तथा पीपल की पूजन कर 10 बार पीपल की परिक्रमा कर उस पर सूत लपेटती हैं तथा डोरे में 10 गठान लगाकर गले में बांधकर रखती हैं। 
  • इस डोरे की पूजन करने के बाद पूजन स्थल पर नल-दमयंती की अनोखी प्रेम कहानी/कथा सुनती हैं।
  • इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं। 
  • पूजन के पश्चात महिलाएं अपने घरों पर हल्दी एवं कुमकुम के छापे लगाती हैं। 
  • एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं। 
  • इस व्रत में भोजन में नमक नहीं लिया जाता है। 
  • इस दिन विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं। 
  • यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है।
  • इसके अलावा इस दिन घर की साफ-सफाई करके घरेलू जरूरत के सामान के साथ-साथ झाडू इत्यादि भी खरीदेने का महत्व माना गया है।

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Tuesday, April 2, 2024

सोमवती अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा

 सोमवती  अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा

 माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को धार्मिक आधार पर अत्यंत महत्वपूर्ण  स्थान प्राप्त है और वर्ष  अमावस्या तिथि सोमवार को होने से महत्व और भी कई गुना बढ़ गया है , क्योकि ये  अमावस्या सोमवती अमावस्या होगी । धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अगर सुहागन महिलाएं व्रत रखकर शिव और गौरी की पूजा करे तो अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है  साथ ही सोमवती अमावस्या पूरी तरह से पितरों की पूजा के लिए समर्पित है एवं इस दिन किसी भी नदी में पवित्र स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान, और ब्राह्मणों को भोजन आदि कराने से पितरो की विशेष कृपा प्राप्त होती  है ।

हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष चैत्र अमावस्या 8 अप्रैल को है एवं सोमवार को होने  से यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि सोमवती अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ होता है। इस दिन पितरों को तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसलिए, श्रद्धालु सोमवती अमावस्या तिथि पर गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान नारायण और पितरों की पूजा करते हैं। साथ ही  सोमवती अमावस्या की तिथि पर दुर्लभ इंद्र योग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है। सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव, आदिशक्ति मां पार्वती संग रात 11.50 बजे तक साथ रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाए, तो हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ हों, तो रुद्राभिषेक करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।

 सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त                                  चैत्र मास की अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को है, इसलिए उस दिन सोमवती अमावस्या है । चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को प्रातः  03 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि उस दिन ही रात 11 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी । इस प्रकार  उदया तिथि के के आधार  पर  सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है एवं इस दिन स्नान दान के लिए शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट तक रहेगा । इसी प्रकार  अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 07 बजकर 38 मिनट तक है