Saturday, September 30, 2023

मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन राजनितिक क्षेत्र में परिवर्तन के साथ इनकी चमकेगी किस्मत

 मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन

राजनितिक क्षेत्र में परिवर्तन के साथ इनकी चमकेगी किस्मत

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। मंगल मकर राशि में उच्च होते हैं, तो कर्क राशि में नीच के होते हैं। ज्योतिष पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि वर्तमान समय में मंगल कन्या राशि में विराजमान हैं। वहीं, अगले महीने मंगल देव 03 अक्टूबर को शाम में 05 बजकर 58 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। मंगल देव तुला राशि में 43 दिन तक रहेंगे। इस दौरान क्रमशः स्वाति और विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।, जबकि 16 नवंबर को तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।

ज्योतिष की माने तो मंगल के राशि परिवर्तन से चार राशि के जातकों को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलेगी। ख़ास बात यह भी है कि केतु ग्रह पहले से ही तुला राशि  में विराजमान है। इसलिए सबसे पहले उसकी युति मंगल के साथ होगी। इसी प्रकार  18 अक्टूबर को सूर्य का तुला में गोचर होगा इसके बाद 19 अक्टूबर को बुध ग्रह का गोचर होगा। हांलाकि बुध ग्रह यहां पर साधारण स्थिति  रहेगा, लेकिन इनके भारतीय राजनीति में प्रभाव देखने को मिल सकते है और कुछ विशेष  राशियों की किस्मत बदल सकती  है।

सिंह राशि:मंगल और केतु की युति से आपको लाभ होगा। आपमें आत्म विश्‍वास और साहस का संचार होगा। पूर्व में किए गए निवेश से लाभ होगा। कारोबार में मुनाफा कमाने में सफलता मिलेगी। नौकरी और करियर में भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। इनकम के सोर्स में बढ़ोतरी होगी।  

कन्‍या राशि: आपकी परेशानियां दूर होगी। अटके कार्य भाग्य के कारण पूर्ण होंगे। अचानक से धन लाभ होगा। भूमि या भवन खरीदने के योग बन रहे हैं। लेखन या संचार से जुड़े लोगों को किस्मत का साथ मिलेगा जिसके चलते बेहतर उन्न‍ित होगी। व्यापार में मुनाफा दोगुना हो सकता है।

धनु राशि:मंगल और केतु की युति से आपको बड़ा आर्थिक लाभ होने वाला है। भौतिक सुख सुविधाओं का विस्तार होगा। खर्च करके के बावजूद धन की बचत होगी। व्यापारियों को कोई बड़ा अवसर हाथ लग सकता है। नौकरीपेशा लोगों का प्रमोशन या वेतन वृद्धि के योग बनेंगे।

मकर राशि:आपके लिए मंगल और केतु की युति से नौकरी में अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। परिवार का साथ आपको उन्नति प्रदान करेगा। अटके कार्य पूर्ण होंगे। पारिवारिक जीवन खुशहाल रहेगा। नई प्रॉपर्टी या वाहन खरीद सकते हैं। व्यापारी वर्ग मनचाहा परिणाम प्राप्त करेंगे।

Dr. Sanjay Geel

Sai Astrovision Society, Chittorgarh

9829747053,7425999259

श्राद्ध पक्ष -2023 :सर्व पितृ अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा (By doing charity on Sarva Pitru Amavasya, you will get special blessings of your ancestors.)

 

श्राद्ध पक्ष -2023

सर्व पितृ अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा

पितृपक्ष की अमावस्‍या इस बार शनिवार 14 अक्टूबर को है। इस दिन पितृ गण वापस देव लोक की ओर प्रस्‍थान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के नाम से दान पुण्‍य करने से वे प्रसन्‍न होकर आपको सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं और आपको सुख समृद्धि प्राप्‍त होती है।  इसको आश्विन कृष्‍ण अमावस्‍या और महालय अमावस्‍या भी कहते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन हमारे पूर्वज विदा होकर वापस देवलोक को प्रस्‍थान कते हैं। इसलिए इस दिन का महत्‍व शास्‍त्रों में बहुत ही खास माना गया है। ऐसी मान्‍यता है कि अगर आप किसी भी कारणवश तिथि पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो सर्वपितृ अमावस्‍या पर उनके निमित्‍त दान-पुण्‍य करने और कुछ उपाय करने से उनको तृप्ति प्राप्‍त होती है और वे आपसे प्रसन्‍न होते हैं। आपको पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्‍त हो जाता है।

गरुड़ पुराण के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे अपने-अपने लोक को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्हीं पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसलिए पितृ अमावस्‍या के दिन अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए
पितृ अमावस्या कब से कब तक

हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की सर्व पितृ अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जो की इस बार   शुक्रवार 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट से प्रारम्भ होकर  शनिवार ,14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी  इस प्रकार उदय तिथि के आधार पर 14 अक्टूबर को को पितरो संबंधी कार्य करना उतम रहेगा

कुतुप मूहूर्त - सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दिन 12 बजकर 30 मिनट तक 
रौहिण मूहूर्त - दिन में 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 16 मिनट तक 
अपराह्न काल - दिन में 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक ।

पितृ अमावस्या पर क्‍या करें

मुख्यतः इस दिन भगवान विष्णु के हंस स्वरूप की पूजा करें. इस दिन भी पितृगणों के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान किया जाता है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जातक की हर मनोकामना पूरी होती है. सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और यही पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी होता है.  साथ ही पितृ अमावस्‍या पर सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और स्‍वयं अन्‍न जल ग्रहण करने से पहले पितरों को जल दें और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और एक मटकी में जल भरकर वहां रख आएं। पितृ अमावस्‍या पर सुबह उठकर सबसे पहले प‍ितृ तर्पण करें। गाय को हरा चारा या फिर पालक जरूर खिलाएं। गाय को चारा डालने से पितरों को भी संतुष्टि प्राप्‍त होती है। पितृ अमावस्‍या की शाम को पितरों के निमित्त तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाकर रखें। ऐसी मान्‍यता है देवलोक को प्रस्‍थान करने में यह दीपक पितरों की राह रोशन करता है।

पितृ अमावस्‍या पर करें दान-पुण्‍य
पूर्वजों को अमावस्‍या का देवता माना जाता है और इस दिन पितर अपनी संतान के पास आते हैं और उनके निमित्‍त दान-पुण्‍य करने की आस रखते हैं। पितरों को प्रसन्‍न करने के लिए सदैव अच्‍छे कर्म करें और पितृ अमावस्‍या के दिन जरूरतमंदों को दान-पुण्‍य करें। आपके अच्‍छे कर्मों को देखकर और आपके दान धर्म को देखकर पूर्वज आपसे प्रसन्‍न होते हैं और आपको सुखी व संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देते हैं।

इस दिन करें पीपल की पूजा

मान्यता है कि  पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवता और पितरों का वास होता है. इसी कारण से पीपल के पेड़ की पूजा का विधान होता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है अमावस्या तिथि पर पीपल की पूजा करने पर पितृदेव प्रसन्न होते हैं । इस तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए तांबे के लोटे में जल, काला तिल और दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित किया जाता है ।

ये करे विशेष  उपाय

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल की सेवा और पूजा करने से हमारे पितृ प्रसन्न रहते हैं । इस दिन स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें । इसके साथ कोई भी सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लेकर पीपल वृक्ष के नीचे जाकर सर्वप्रथम लोटे की समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित कर दें । इस दौरान 'ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः' मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।

अमावस्या पर ऐसे दें पितरों को विदाई 

जो व्यक्ति पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध आदि नहीं कर पाते या जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हो, उन सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को किया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना उत्तम माना जाता है. अमावस्या के श्राद्ध पर भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है. भोजन कराने और श्राद्ध करने का समय दोपहर होना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें. श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं, उनका तिलक करके दक्षिणा देकर विदा करें. बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें ।

सरल पूजन विधि

1. तर्पण-दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पितरों को अर्पित करें ।
2. पिंडदान-चावल या जौ के पिंडदान, करके भूखों को भोजन दें ।
3. निर्धनों को वस्त्र दें ।
4. भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता ।
5. पूर्वजों के नाम पर करें ये काम जैसे -शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए ।

 ज्योतिष परामर्श हेतु संपर्क करे :-

डॉ. संजय गील

साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र , चितौड़गढ़

(A unit of Sai Astrovision Society, Chittorgarh )

Tuesday, September 26, 2023

पितृ पक्ष 2023 : इस श्राद्ध पक्ष में बरसेगी पितरों की कृपा, तर्पण अनुष्ठान से मिटेगी जीवन से अशुभता

 

पितृ पक्ष 2023

इस श्राद्ध पक्ष में बरसेगी पितरों की कृपा, तर्पण अनुष्ठान से मिटेगी जीवन से अशुभता

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, जोकि पूरे 16 दिनों तक चलता है. इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है।मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होते हैं और पितरो का ऋण उतरता है।  पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है और इन 16 दिनों में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं. इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होकर  14 अक्टूबर को समाप्त होंगे । हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की पितृ पक्ष के  समय पितृ धरतीलोक पर आते हैं और किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के आसपास रहते हैं। इसलिए इस समय प्रत्येक गृहस्थ को श्राद्ध करना ही चाहिये । इन 16 दिनों तक तर्पण, पूजा अर्चना, श्राद्ध आदि करके नदी, तालाब आदि स्थलों पर जाकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तर्पण करके अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने से पितरो की कृपा मिलती है।,क्योकि यह कर्म पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं।

श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

हर व्यक्ति को अपने पूर्व की तीन पीढ़ियों (पिता, दादा, परदादा) और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए। जो लोग पूर्वजों की संपत्ति का उपभोग करते हैं और उनका श्राद्ध नहीं करते, ऐसे लोगों को पितरों द्वारा शप्त होकर कई दुखों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी माता-पिता के अनेक पुत्र हों और संयुक्त रूप से रहते हों तो सबसे बड़े पुत्र को हू पितृकर्म करना चाहिए। पितृ पक्ष में दोपहर 12:30 से 01:00 तक श्राद्ध कर लेना चाहिए।

सरल तर्पण विधि

सबसे पहले साफ जल, बैठने का आसन, थाली, कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल की माला, कुशा, सुपारी, जौ, काले तिल, जनेऊ आदि अपने पास रखें. आचमन के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़के, फिर गायत्री मंत्र से शिखा बांधकर तिलक लगा लें. फिर थाली में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवताओें को याद करें. ध्यान रहें कि तर्पण विधि के लिए पूर्व की तरफ मुख करके ही बैठना है. कुशा को पूर्व की ओर रखें. फिर श्राद्ध के दौरान अनामिका उंगली में कुशा घास से बनी अंगूठी धारण करें. फिर सीधे हाथ से तर्पण दें. पितरों को अग्नि में गाय का दूध, दही, घी या खीर अर्पित करें. ब्राह्मण भोजन निकलने से पहले गाय, कुत्ते, कौवे के लिए खाना निकाल लें. दक्षिण की तरफ मुख करके और कुश, तिल और जल लेकर पितृतीर्थ से संकल्प करें और एक या फिर तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं. तर्पण करने के बाद ही ब्राह्मण को भोजन ग्रहण कराएं और भोजन के बाद दक्षिणा और अन्य सामान दान करें और ब्राह्मण का आशीर्वाद प्राप्त करें.

किस तिथि में किन पितरों का करें श्राद्ध

हिन्दू कैलेंडर के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  इस बार पुरुषोत्तम या अधिक मास होने के कारण श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से होकर  14 अक्‍टूबर 2023 को श्राद्ध महालय पर इसकी समाप्ति होगी। मुख्यतः श्राद्ध के लिए 16 तिथियां बताई गई हैं, मान्यता है कि इस  आधार पर पितरो का  श्राद्ध करने से निश्चित ही कल्याण होता है

पूर्णिमा तिथि (29 सितंबर 2023)

ऐसे पूर्वज  जो पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए. इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

 प्रथम  श्राद्ध (30 सितंबर 2023)

जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन हुई हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि को किया जाता है। इसके साथ ही प्रतिपदा श्राद्ध पर ननिहाल के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो या उनके मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो भी आप श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में उनका श्राद्ध कर सकते हैं।

द्वितीय श्राद्ध (01 अक्टूबर 2023)जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

तीसरा श्राद्ध (02 अक्टूबर 2023) जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को करने का विधान है. इसे महाभरणी भी कहा जाता है।

चौथा श्राद्ध (03 अक्टूबर 2023) शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि को किया जाता है।

पांचवा श्राद्ध (04 अक्टूबर 2023) ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है. यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है।

छठा श्राद्ध (05 अक्टूबर 2023) किसी भी माह के षष्ठी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है. इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है।

सातवां श्राद्ध (06 अक्टूबर 2023)किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए।

आठवां श्राद्ध (07 अक्टूबर 2023) ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है।

नवमी श्राद्ध (08 अक्टूबर 2023) माता की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध न करके नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं. वहीं जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है।

दशमी श्राद्ध (09 अक्टूबर 2023) दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है।

एकादशी श्राद्ध (10 अक्टूबर 2023) उक्त तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो के साथ ही  ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है।

द्वादशी श्राद्ध (11 अक्टूबर 2023) उक्त तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो के साथ ही  जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए. चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो. इसलिए तिथि को संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है।

त्रयोदशी श्राद्ध (12 अक्टूबर 2023) उक्त तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो के साथ ही  श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

चतुर्दशी तिथि (13 अक्टूबर 2023) उक्त तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो के साथ ही  ऐसे लोग जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे आग से जलने, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घना से या जल में डूबने से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए।

अमावस्या तिथि (14 अक्टूबर 2023) पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं।इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है।

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Dr. Sanjay Geel

President

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