Wednesday, November 4, 2015

How much money in your destiny

जानिए आपके भाग्य में कितना पैसा है?
श्री गुरुदेवदत्त ।।

मित्रों कोई व्यक्ति अपने जीवन में कितना धनी हो पाएगा, यह उसकी कुंडली में लिखा होता है। आइए जानते हैं कुंडली में धन-योग को कैसे पहचानें?

पेश है जन्म कुंडली के कुछ प्रमुख धन योग। इनमें से किसी एक योग के होने पर भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होती है।

जब कुंडली के दूसरे भाव में शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक के पास अपार पैसा रहता है।

जन्म कुंडली के दूसरे भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी भरपूर धन के योग बनते हैं।

चूंकि दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश को धनेश माना जाता है अत: उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं रहती।

दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश के साथ कोई शुभ ग्रह बैठा हो तब भी व्यक्ति के पास खूब पैसा रहता है।

जब बृहस्पति यानी गुरु कुंडली के केंद्र में स्थित हो।

बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो। (5,7,9)

बृहस्पति लाभ भाव ग्यारहवें भाव) में स्‍थित हो।

द्वितीयेश उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।

लग्नेश लग्न स्थान का स्वामी जहां बैठा हो, उससे दूसरे भाव का स्वामी उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।

धनेश व लाभेश उच्च राशिगत हों।

चंद्रमा व बृहस्पति की किसी शुभ भाव में यु‍ति हो।

बृहस्पति धनेश होकर मंगल के साथ हो।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ केंद्र में हों।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ त्रिकोण में हों।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ लाभ भाव में हों।

लग्न से तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हों।

सप्तमेश दशम भाव में अपनी उच्च राशि में हो।

सप्तमेश दशम भाव में हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में नवमेश के साथ हो।
ॐ साईंराम या काज़ी ।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Tuesday, November 3, 2015

Astrological conditions and mars

कब नहीं होता मंगल दोष

श्री गुरुदेवदत ।।

मित्रों यदि मंगल चर राशी में हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं।
यदि मंगल सिंह वृशिचिक कर्क मेष राशी में हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं
यदि मंगल स्वनवंश में हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं
मंगल बुध की युति भी मंगल दोष का काट हैं.
मंगल गुरु की युति मंगल दोष का निवारण करती हैं.
यदि मंगल राहू के साथ हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं.
यदि कन्या की कुंडली में बलि गुरु केंद्र त्रिकोण गत हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं.
यदि कन्या वर के अष्ट कूट मिलान में अधिक अंक हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं.

ज्योतिषी को मंगल दोष के नाम से डराना नहीं चाहिए बल्कि परामर्श देना चाहिए की मंगल दोष का स्तर अलग अलग होता हैं कुछ कुंडली में यह विधुर  विधवा योग भी बनाता हैं और कुछ कुंडली में यह मंगल दोष नहीं मंगल योग बनाता हैं . उदहारण के लिए सिंह लगन में मंगल योग कारक होता हैं . यदि मंगल लगन में हो तो यह जातक को सुख स्मरिधि , भाग्यवृद्धि के योग देता हैं. न की मंगल दोष का निर्माण करता हैं.

मंगल दोष का विचार नवांश से भी किया जाता हैं . मंगल ऊर्जा का कारक हैं, यदि मंगल नवांश में पीड़ित हैं तो ऐसे जातक का विवाह ऐसी कन्या से करना चाहिए जिसके नवांश में मंगल पीड़ित हो अन्यथा वैवाहिक जीवन असंतुलित हो जायेगा शुक्र मंगल युति भी वैवाहिक जीवन को बिगाड़ सकती हैं इसलिए शुक्र मंगल युति के जातक का विवाह ऐसी कन्या से करना चाहिए जिसकी कुंडली में भोग के योग हो.

इसमें कोई संदेह नहीं की मंगल हिंसा का कारक हैं उसके वैवाहिक जीवन पर प्रभाव पारिवारिक शांति को बिगाड़ देता हैं, पर हमे यह नहीं भूलना चाहिए की नैसर्गिक कारकत्वा के साथ साथ कुंडली में भाव कारकत्व भी होते हैं. मंगल यदि योगकारक हैं तो ऐसा मंगल हानि कम लाभ अधिक देता हैं. मेरे गुरुजी मंगल दोष को तब तक हानि प्रद नहीं मानते जब तक मंगल के पास अशुभ भावाधिपत्य न हो. मंगल दोष के निवारण हेतु पूजा अर्चना का विधान है।
ॐ साईंराम या क़ाज़ी।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053