Wednesday, November 4, 2015

How much money in your destiny

जानिए आपके भाग्य में कितना पैसा है?
श्री गुरुदेवदत्त ।।

मित्रों कोई व्यक्ति अपने जीवन में कितना धनी हो पाएगा, यह उसकी कुंडली में लिखा होता है। आइए जानते हैं कुंडली में धन-योग को कैसे पहचानें?

पेश है जन्म कुंडली के कुछ प्रमुख धन योग। इनमें से किसी एक योग के होने पर भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होती है।

जब कुंडली के दूसरे भाव में शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक के पास अपार पैसा रहता है।

जन्म कुंडली के दूसरे भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी भरपूर धन के योग बनते हैं।

चूंकि दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश को धनेश माना जाता है अत: उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं रहती।

दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश के साथ कोई शुभ ग्रह बैठा हो तब भी व्यक्ति के पास खूब पैसा रहता है।

जब बृहस्पति यानी गुरु कुंडली के केंद्र में स्थित हो।

बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो। (5,7,9)

बृहस्पति लाभ भाव ग्यारहवें भाव) में स्‍थित हो।

द्वितीयेश उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।

लग्नेश लग्न स्थान का स्वामी जहां बैठा हो, उससे दूसरे भाव का स्वामी उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।

धनेश व लाभेश उच्च राशिगत हों।

चंद्रमा व बृहस्पति की किसी शुभ भाव में यु‍ति हो।

बृहस्पति धनेश होकर मंगल के साथ हो।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ केंद्र में हों।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ त्रिकोण में हों।

चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ लाभ भाव में हों।

लग्न से तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हों।

सप्तमेश दशम भाव में अपनी उच्च राशि में हो।

सप्तमेश दशम भाव में हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में नवमेश के साथ हो।
ॐ साईंराम या काज़ी ।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Tuesday, November 3, 2015

Astrological conditions and mars

कब नहीं होता मंगल दोष

श्री गुरुदेवदत ।।

मित्रों यदि मंगल चर राशी में हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं।
यदि मंगल सिंह वृशिचिक कर्क मेष राशी में हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं
यदि मंगल स्वनवंश में हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं
मंगल बुध की युति भी मंगल दोष का काट हैं.
मंगल गुरु की युति मंगल दोष का निवारण करती हैं.
यदि मंगल राहू के साथ हो तो मंगल दोष नहीं होता हैं.
यदि कन्या की कुंडली में बलि गुरु केंद्र त्रिकोण गत हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं.
यदि कन्या वर के अष्ट कूट मिलान में अधिक अंक हो तो भी मंगल दोष नहीं होता हैं.

ज्योतिषी को मंगल दोष के नाम से डराना नहीं चाहिए बल्कि परामर्श देना चाहिए की मंगल दोष का स्तर अलग अलग होता हैं कुछ कुंडली में यह विधुर  विधवा योग भी बनाता हैं और कुछ कुंडली में यह मंगल दोष नहीं मंगल योग बनाता हैं . उदहारण के लिए सिंह लगन में मंगल योग कारक होता हैं . यदि मंगल लगन में हो तो यह जातक को सुख स्मरिधि , भाग्यवृद्धि के योग देता हैं. न की मंगल दोष का निर्माण करता हैं.

मंगल दोष का विचार नवांश से भी किया जाता हैं . मंगल ऊर्जा का कारक हैं, यदि मंगल नवांश में पीड़ित हैं तो ऐसे जातक का विवाह ऐसी कन्या से करना चाहिए जिसके नवांश में मंगल पीड़ित हो अन्यथा वैवाहिक जीवन असंतुलित हो जायेगा शुक्र मंगल युति भी वैवाहिक जीवन को बिगाड़ सकती हैं इसलिए शुक्र मंगल युति के जातक का विवाह ऐसी कन्या से करना चाहिए जिसकी कुंडली में भोग के योग हो.

इसमें कोई संदेह नहीं की मंगल हिंसा का कारक हैं उसके वैवाहिक जीवन पर प्रभाव पारिवारिक शांति को बिगाड़ देता हैं, पर हमे यह नहीं भूलना चाहिए की नैसर्गिक कारकत्वा के साथ साथ कुंडली में भाव कारकत्व भी होते हैं. मंगल यदि योगकारक हैं तो ऐसा मंगल हानि कम लाभ अधिक देता हैं. मेरे गुरुजी मंगल दोष को तब तक हानि प्रद नहीं मानते जब तक मंगल के पास अशुभ भावाधिपत्य न हो. मंगल दोष के निवारण हेतु पूजा अर्चना का विधान है।
ॐ साईंराम या क़ाज़ी।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Saturday, October 31, 2015

I can change my destiny

पुरूषार्थ से बदले अपना भाग्य ।
श्री गुरुदेवदत्त ।।

प्रिय मित्रों शास्त्र कहता है कि भाग्य बड़ा प्रबल है, मगर पुरुषार्थ द्वारा भाग्य को को बदला जा सकता है। यानी जरुरत है दवा और दुआ के बीच तालमेल बैठाने की। अन्दर की ज्योति और बाहर की ज्योति दोनों काम करें तो बात बनती है। आंख में ज्योति हो और बाहर प्रकाश हो तो आंखें काम करती हैं। बाहर सूर्य निकला हो, मगर आंखों में ज्योति न हो तो अन्धेरा रहता है। फिर भी कहा गया अपनी तरफ से कोई कसर बाकी न रखें।

पुरुषार्थ छोड़ें नहीं पूर्ण पुरुषार्थी होकर कार्य में लगें और साथ में प्रभु से आशीर्वाद भी मांगें। मेहनत करें, उसकी रहमत जरूर होगी। व्यक्ति सोचता है कोई अवतार आएगा कल्याण करने के लिए हर समय भाग्य के भरोसे बैठकर जिंदगी की समस्याओं से मुंह मोड़कर बैठ जाता है, परिश्रम करना नहीं चाहता।

किसी के बल पर आप सुखी नहीं रहेंगे अपनी समस्याओं से स्वयं जूझना होगा। अपने भाग्य के निर्माता आप हैं अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करें। जगत् में कोई ऐसा नहीं जो आपका भाग्य बदल पाएगा। आप ही अपने भाग्य विधता हैं अपने अन्दर के उस दीए को जलाइए जिसकी रोशनी में सारा संसार देवत्व की ओर जाता दिखाई दे।

जो व्यक्ति सदा सीखने को तैयार रहता है, उसके अन्दर सबकुछ हो सकने की संभावना रहती है। इसलिए कुछ न कुछ ऐसा करते रहिए जिससे आपके मन का बगीचा खुशियों से भर जाए और आप भाग्यशाली बनें।

भागवत महापुराण में कहा गया है कि, आप चाहते हैं आपका भाग्य फले, भाग्य सौभाग्य बन जाए तो छः चीजें अपनाएं। इस पवित्र ग्रंथ का यह सन्देश बड़ा ही अद्भुत है इसे अपने जीवन में अपनाएं। सबसे पहली चीज है, पुरुषार्थ। पुरुषार्थ लगातार कीजिए काम से जी चुराकर मत बैठें। केवल हाथ जोड़ने से ही बात नहीं बनती पुरुषार्थ भी जरूरी है। हाथ जोड़े रहें, सिर झुका रहे, लेकिन हाथ पुरुषार्थ की ओर बढते रहें। दूसरी चीज है हिम्मत। हिम्मत कभी नहीं छोड़ना, साहस बनाए रखना।

जीवन में समस्याएं तो पग-पग पर हैं, निराश होकर न बैठें, साहस के साथ समस्या का सामना करें। समस्या से जो पार जाएगा वही आगे बढ़कर हर चुनौतियों का सामना कर पाएगा। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा जीवन में जागना है, भागना नहीं। दुःख को प्रसन्नता में, कायरता को वीरता में बदलो। वीर तो एक बार मरकर वीरागति को प्राप्त करता है, कायर तो दिन में हजार बार मरता है।

अन्दर साहस हो तो कोई भी चीज कितनी भी शक्तिशाली हो, आपको दबा नहीं सकती। जो व्यक्ति आलस्य में सोया पड़ा है, उसके लिए कलियुग है, जिसने अंगड़ाई लेनी शुरू की उसके लिए द्वापर युग है, जो उठकर खड़ा हो गया, उसके लिए त्रेतायुग है और जो कार्य में लग गया उसके लिए सत्युग शुरू हो गया और उसका भाग्य सौभाग्य में बदल गया।
ॐ साईंराम या काज़ी ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Friday, October 30, 2015

Karwa choth vrat an analysis

करवा चौथ की व्रत विधि और पूजा मुहूर्त
श्री गुरुदेवदत्त ।।
पूजा मुहूर्त
सायंकाल 05:04 से 06:19 बजे तक
चितौड़ में चंद्रोदय
रात 08 बजकर 21 मिनिट पर ।

प्रिय विवाहित मित्रो करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएँ बड़ी धूम-धाम और श्रद्धापूर्वक करेंगी। करवा का अर्थ मिट्टी के बर्तन‘ और ‘चौथ’ का अर्थ चार होता है। यह कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को धूम-धाम से मनाया जाता है।

करवा चौथ के व्रत के अनुष्ठान एक नज़र में

करवा चौथ पति और पत्नी के रिश्ते के बीच के अटूट बंधन और प्रेम को दर्शाता है। पत्नियाँ अपने पति की दिर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास और भगवान से प्रार्थना करती हैं। सास अपनी बहु को सरगी (पाँच से सात प्रकार के खाने वाले व्यंजनों से सजी थाली) देती हैं जिसे बहु सूर्योदय से पहले खाती है। बदले में बहु के मायके से सास के लिए भी बाया (उपहार और खाने का सामान) आता है।

पारंपरिक परिधानों से बनाएँ त्यौहार को ख़ास

करवा चौथ ही एक ऐसा दिन है जब आप खु़द को चाँद से भी ख़ूबसूरत साबित कर सकती हैं। इसके लिए पारंपरिक कपड़े जैसे साड़ी और गहने पहनें। संभव हो तो सोलह शृंगार करें और अपने पति को बताएँ कि मैं चाँद से किसी भी मायने में कम नहीं हूँ।

सोलह शृंगार की बात करें तो इसमें निम्नलिखित शृंगार की वस्तुएँ शामिल हैं:

माँग टीका ,मंगलसूत्र , मेहंदी , बिंदी ,बाजुबंद बिछिया ,चुड़ियाँ  सिन्दूर काजल कमरबंद  नाक की बाली कान की बाली अंगूठी फूलों का गजरा पायलऔर इत्र ।

करवा चौथ पूजा विधि
सायंकाल में पूजा स्थल पर एकत्र होकर वहाँ का स्थान साफ करके मिट्टी से लीपें।
देवी पार्वती की मूर्ती पूजा स्थल पर रखें।
किसी बुजूर्ग महिला के मुख से करवा चौथ की व्रत कथा ध्यानपूर्वक सुनें।
अब करवा और पूजा थाली, जल, दीप, चावल, रोली, मठरी को एक जगह व्यवस्थित करें।
अब इस थाली को पारंपरिक गीत गाते हुए गोलाकार रूप में बैठकर एक दूसरी महिलाओं की ओर बढ़ाएँ।
उस थाली को घर के बड़े सदस्य को दें और सुख-समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
चंद्रोदय के बाद चलनी छलनीसे अपने पति का दिदार करें उसके बाद चाँद की ओर देखते हुए पति के दिर्घायु और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
इसके बाद पति अपनी पत्नियों को मिठाई और पानी पिलाकर उपवास को खोलें।

करवा चौथ के दिन गाया जाने वाला गीत

पहले छः फेरी के लिए इन पंक्तियों को गाएँ:

वीरो कुड़िये करवडा
सर्व सुहागन करवडा
ए कट्टी नया अटेरी ना खुम्ब चरख्रा फेरी ना
आर पैर पायीं ना
रुठ्दा मनियें ना
सुथडा जगाईं ना
ले वीरा कुरिय करवाडा
लै सर्व सुहगन करवाडा

सातवीं फेरी के लिए इन पंक्तियों को गाएँ:

वीरो कुड़िये करवडा
सर्व सुहागन करवडा
ए कट्टी नया अटेरी नी
खुम्ब चरख्रा फेरी भी
आर पैर पायीं भी
रुठ्दा मनियें भी
सुथडा जगाईं भी
ले वीरा कुरिय करवाडा
लै सर्व सुहागन करवाडा

इस करवा चौथ दें अपनी पत्नी को ख़ास उपहार

एक बार फिर से अपनी पत्नी को शृंगार की ढेर सारी वस्तुएँ और उपहार स्वरूप उनकी पसंद का ख़ास गिफ़्ट देकर बता दें आप ही दुनिया के सबसे अच्छे पति हैं।

आपके पति भी हैं उपहार के हकदार

आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आपके पति आपकी ख़ुशियों के लिए क्या-क्या करते हैं ताकि आप ख़ुश रहें। इसलिए इस करवा चौथ उनके लिए भी कोई विशेष उपहार ख़रीदें या ख़ुद ही तैयार करें और उन्हें इस बात का अहसास करा दें कि आप भी उनका बहुत ख़्याल रखती हैं।

इन्हीं जानकारियों के साथ आप सभी को करवा चौथ की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आपके दाम्पत्य जीवन में अपार ख़ुशियाँ आएँ यही हमारी प्रभु से कामना है।
ॐ साईंराम या हक क़ाज़ी ।
सदैव आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Saturday, May 30, 2015

Astrological tips for money

धन के ठहराव के लिए
श्री गुरुदेवदत्त ।।

आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टपटप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !

   
घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण वायव्य कोण में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।

   
घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।

   
घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की ृभविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।

   
काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी।

   
घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सोने का चौरस सिक्का रखें। कुत्ते को दूध दें। अपने कमरे में मोर का पंख रखें।

   
अगर आप सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो आपको पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसके मुख पर मोली बांधकर तथा उसमें जटायुक्त नारियल रखकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

   
अखंडित भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चन्दन की स्याही से मोर के पंख की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखें।

   
व्यक्ति जब उन्नति की ओर अग्रसर होता है, तो उसकी उन्नति से ईर्ष्याग्रस्त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वे ही उसकी उन्नति के मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं, ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रातरूकाल सात बार हनुमान बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएँ और पाँच लौंग पूजा स्थान में देशी कर्पूर के साथ जलाएँ। फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाएँ। यह प्रयोग आपके जीवन में समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे।

   
कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

   
अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है।

   
अकस्मात् धन लाभ के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाना चाहिए। यदि व्यवसाय में आकिस्मक व्यवधान एवं पतन की सम्भावना प्रबल हो रही हो, तो यह प्रयोग बहुत लाभदायक है।

   
अगर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हों, तो मन्दिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) लगा दें।

   
अगर आप अमावस्या के दिन पीला त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लहराता हुआ रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। झंडा लगातार वहाँ लगा रहना चाहिए। यह अनिवार्य शर्त है।

   
देवी लक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों का घी का दीपक जलाएँ। उसी दिन धन लाभ होगा।

   
एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएँ। धन लाभ होगा।

   
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।

   
प्रातकाल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाएँ। घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।

    
एक हंडिया में सवा किलो हरी साबुत मूंग की दाल, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दोनों हंडिया घर में कहीं रख दें। यह क्रिया बुधवार को करें। घर में धन आना शुरू हो जाएगा।

   
प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें।
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा ।
ॐ साईंराम ।।
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Sunday, May 3, 2015

मंगल दोष को टालते ये योग

कुंडली के योग ही दूर करते हैं मंगल दोष
श्री गुरुदेवदत्त ।।

यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्ठम व द्वादश भावों में कहीं भी मंगल हो तो उसे मंगल दोष कहा जाता है लेकिन उन दोषों के बावजूद अगर अन्य ग्रहों की स्थिति, दृष्टि या युति निम्नलिखित प्रकार से हो, तो मंगल दोष खुद ही प्रभावहीन हो जाता है :-

यदि मंगल ग्रह वाले भाव का स्वामी बली हो, उसी भाव में बैठा हो या दृष्टि रखता हो, साथ ही सप्तमेश या शुक्र अशुभ भावों (6/8/12) में न हो।

यदि मंगल शुक्र की राशि में स्थित हो तथा सप्तमेश बलवान होकर केंद्र त्रिकोण में हो।

यदि गुरु या शुक्र बलवान, उच्च के होकर सप्तम में हो तथा मंगल निर्बल या नीच राशिगत हो।

मेष या वृश्चिक का मंगल चतुर्थ में, कर्क या मकर का मंगल सप्तम में, मीन का मंगल अष्टम में तथा मेष या कर्क का मंगल द्वादश भाव में हो।

यदि मंगल स्वराशि, मूल त्रिकोण राशि या अपनी उच्च राशि में स्थित हो।

यदि वर-कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में मंगल दोष हो तथा कुंडली में उन्हीं पाँच में से किसी भाव में कोई पाप ग्रह स्थित हो। कहा गया है -

शनि भौमोअथवा कश्चित्‌ पापो वा तादृशो भवेत्‌।
तेष्वेव भवनेष्वेव भौम-दोषः विनाशकृत्‌॥

इनके अतिरिक्त भी कई योग ऐसे होते हैं, जो मंगली दोष का परिहार करते हैं। अतः मंगल के नाम पर मांगलिक अवसरों को नहीं खोना चाहिए।

सौभाग्य की सूचिका भी है मंगली कन्या : कन्या की जन्मकुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भाव में मंगल होने के बाद भी प्रथम (लग्न, त्रिकोण), चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम तथा दशम भाव में बलवान गुरु की स्थिति कन्या को मंगली होते हुए भी सौभाग्यशालिनी व सुयोग्य पत्नी तथा गुणवान व संतानवान बनाती है।
ॐ साईंराम ।।
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Monday, April 27, 2015

Astrology and diffrence between husband and Wife

कुंडली से जानें क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा
श्री गुरुदेवदत्त ।।

यदि पति-पत्नी में बार-बार झगड़े की स्थिति आती है और इसमें तीव्रता भी आ जाती है, तो यह चिंता का विषय होता है।

आइए, देखते हैं क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा कुछ इसके ज्योतिषीय कारण :

विवाह पूर्व कुंडली मिलान आवश्यक होता है। जब दो व्यक्ति जिंदगीभर विवाह बंधन में बंधकर एकसाथ रहने का फैसला करते हैं तो सामान्यतया वे एक-दूसरे के वास्तविक स्वभाव से अ‍नभिज्ञ रहते हैं। अत: कुंडली मिलान इसमें बड़ी सहायता करता है।

यदि वर-वधू की कुंडली में शास्त्र अनुसार 18 गुण से कम का गुण मिलान हुआ है, तो झगड़े की आशंका अधिक होती है। गुण-दोष, भकूट का मिलान न होना, राशि मै‍त्री का न होना आदि बातें सामने आती हैं।

विवाह पूर्व कुंडली मिलान के साथ-साथ ही मंगल दोष भी देखा जाता है। यदि किसी एक की पत्रिका मंगली है और दूसरे की नहीं, तो ऐसी स्थिति में झगड़े की आशंका बनती है।

झगड़े की संभावना को हम कुंडली में सप्तमेश की स्थिति से बहुत अच्छे से समय सकते हैं, जो इस प्रकार है-

यदि सप्तमेश 6ठे, 8वें या 12
वें घर में स्थित हो। इसके अलावा व्यवहार रूप में यह भी देखा गया है कि यदि सप्तमेश पंचम में स्थित हो तो भी यह कलह का एक कारण बनता है। कुंडली में सप्तम भाव में क्रूर ग्रहों यथा शनि, मंगल, सूर्य, राहु या केतु की पूर्ण दृष्टि हो या इन ग्रहों में से अधिकांश की यु‍ति सप्तम घर में हो।

यदि कुंडली में सप्तम भाव में षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश स्थित हों।

सप्तमेश अस्त हो, वक्री हो अथवा निर्बल।

यदि सप्तमेश शनि, मंगल, सूर्य या राहु से युत हो।

यदि सप्तमेश षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश से युत हो।

कुंठली में सप्तमेश, षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश के नक्षत्र में स्थित हो।

कुंडली में चतुर्थ स्थान को सुख स्थान कहा गया है और यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पाप ग्रहों युत या दृष्ट होता है या चतुर्थेश निर्बल होता है तो पत्नी से झगड़ा या खिन्नता बनी रहती है।

वृश्चिक लग्न का होना

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में वृश्चिक लग्न हो तो झगड़े की आशंका ज्यादा रहती है।

यदि आपकी या जीवनसाथी की कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं तो षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश की दशाएं हैं तो भी झगड़ा होता है।

यदि जीवनसाथी या आपकी कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं, जो छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्‍थित हैं तो भी झगड़ा होता है।

गोचर ग्रह

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में चंद्रमा सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में गोचर का रहा हो।

इसी प्रकार आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में मंगल व सूर्य सप्तम, अष्ठम या द्वादश भाव में गोचर कर रहा हो, यही स्थिति राहु की भी रहती है।

शनि की साढ़े साती

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की राशि पर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का प्रभाव हो तो झगड़े की आशंका रहती है।

अन्य योग

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में भाग्येश, दशमेश, आयेश, धनेश और चतुर्थेश की स्‍थिति अशुभ तथा निर्बल हो तो भी झगड़े की स्‍थिति बनती है। उक्त स्‍थिति में उपाय रूप में पति को शुक्र संबंधी तथा पत्नी को गुरु संबंधी उपाय करने चाहिए।

शुक्र संबंधी उपयोग में श्वेत वस्तुओं यथा- शकर, मिश्री, चावल, दूध आदि का दान प्रात:काल करना श्रेष्ठ है। गुरु संबंधी उपायों में पीले अनाज, वस्त्र, हल्दी, पीले फूल, फल आदि का दा‍न किया जा सकता है। पति-पत्नी में से कोई एक या दोनों को ब्लू सफायर, स्फटिक या फिरोजा रत्न पहनना चाहिए ।
ॐ साईंराम ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
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