Monday, April 27, 2015

Astrology and diffrence between husband and Wife

कुंडली से जानें क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा
श्री गुरुदेवदत्त ।।

यदि पति-पत्नी में बार-बार झगड़े की स्थिति आती है और इसमें तीव्रता भी आ जाती है, तो यह चिंता का विषय होता है।

आइए, देखते हैं क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा कुछ इसके ज्योतिषीय कारण :

विवाह पूर्व कुंडली मिलान आवश्यक होता है। जब दो व्यक्ति जिंदगीभर विवाह बंधन में बंधकर एकसाथ रहने का फैसला करते हैं तो सामान्यतया वे एक-दूसरे के वास्तविक स्वभाव से अ‍नभिज्ञ रहते हैं। अत: कुंडली मिलान इसमें बड़ी सहायता करता है।

यदि वर-वधू की कुंडली में शास्त्र अनुसार 18 गुण से कम का गुण मिलान हुआ है, तो झगड़े की आशंका अधिक होती है। गुण-दोष, भकूट का मिलान न होना, राशि मै‍त्री का न होना आदि बातें सामने आती हैं।

विवाह पूर्व कुंडली मिलान के साथ-साथ ही मंगल दोष भी देखा जाता है। यदि किसी एक की पत्रिका मंगली है और दूसरे की नहीं, तो ऐसी स्थिति में झगड़े की आशंका बनती है।

झगड़े की संभावना को हम कुंडली में सप्तमेश की स्थिति से बहुत अच्छे से समय सकते हैं, जो इस प्रकार है-

यदि सप्तमेश 6ठे, 8वें या 12
वें घर में स्थित हो। इसके अलावा व्यवहार रूप में यह भी देखा गया है कि यदि सप्तमेश पंचम में स्थित हो तो भी यह कलह का एक कारण बनता है। कुंडली में सप्तम भाव में क्रूर ग्रहों यथा शनि, मंगल, सूर्य, राहु या केतु की पूर्ण दृष्टि हो या इन ग्रहों में से अधिकांश की यु‍ति सप्तम घर में हो।

यदि कुंडली में सप्तम भाव में षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश स्थित हों।

सप्तमेश अस्त हो, वक्री हो अथवा निर्बल।

यदि सप्तमेश शनि, मंगल, सूर्य या राहु से युत हो।

यदि सप्तमेश षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश से युत हो।

कुंठली में सप्तमेश, षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश के नक्षत्र में स्थित हो।

कुंडली में चतुर्थ स्थान को सुख स्थान कहा गया है और यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पाप ग्रहों युत या दृष्ट होता है या चतुर्थेश निर्बल होता है तो पत्नी से झगड़ा या खिन्नता बनी रहती है।

वृश्चिक लग्न का होना

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में वृश्चिक लग्न हो तो झगड़े की आशंका ज्यादा रहती है।

यदि आपकी या जीवनसाथी की कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं तो षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश की दशाएं हैं तो भी झगड़ा होता है।

यदि जीवनसाथी या आपकी कुंडली में ऐसे ग्रहों की दशाएं चल रही हैं, जो छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्‍थित हैं तो भी झगड़ा होता है।

गोचर ग्रह

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में चंद्रमा सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में गोचर का रहा हो।

इसी प्रकार आपकी अथवा जीवनसाथी की चंद्र कुंडली में मंगल व सूर्य सप्तम, अष्ठम या द्वादश भाव में गोचर कर रहा हो, यही स्थिति राहु की भी रहती है।

शनि की साढ़े साती

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की राशि पर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का प्रभाव हो तो झगड़े की आशंका रहती है।

अन्य योग

यदि आपकी अथवा जीवनसाथी की कुंडली में भाग्येश, दशमेश, आयेश, धनेश और चतुर्थेश की स्‍थिति अशुभ तथा निर्बल हो तो भी झगड़े की स्‍थिति बनती है। उक्त स्‍थिति में उपाय रूप में पति को शुक्र संबंधी तथा पत्नी को गुरु संबंधी उपाय करने चाहिए।

शुक्र संबंधी उपयोग में श्वेत वस्तुओं यथा- शकर, मिश्री, चावल, दूध आदि का दान प्रात:काल करना श्रेष्ठ है। गुरु संबंधी उपायों में पीले अनाज, वस्त्र, हल्दी, पीले फूल, फल आदि का दा‍न किया जा सकता है। पति-पत्नी में से कोई एक या दोनों को ब्लू सफायर, स्फटिक या फिरोजा रत्न पहनना चाहिए ।
ॐ साईंराम ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
+919829747053

Saturday, April 25, 2015

What above Dreams

क्या कहते है सपने
श्री गुरुदेवदत्त ।।
सपनो की दुनिया में आज प्रस्तुत है स शब्द से सम्बंधित सपनो का ज्योतिषी आकलन।

स्याही देखना – सरकार से सम्मान मिले

स्टोव जलाना – भोजन अच्छा मिले

संडास देखना – धन वृद्धि हो

संगीत देखना या सुनना – कष्ट बढे

संदूक देखना – पत्नी सेवा करे , अचानक धन मिले

सजा पाना – संकटों से छुटकारा मिलाना

सट्टा खेलना – धोखा होने का संकेत

सलाद खाते देखना – धन वृद्धि हो

सर्कस देखना – बहुत मेहनत करनी पड़े

सलाई देखना – मान सम्मान बढे

सरसों का साग खाना – बीमारी दूर हो

सरसों देखना – व्यापार में लाभ हो

ससुर देखना – शुभ समाचार मिले

सर कटा देखना – विदेश यात्रा हो

सर फटा देखना – कारोबार में हानि हो

सर मुंडाना – गृह कलेश में वृद्धि हो

सर के बाल झड़ते देखना – क़र्ज़ से मुक्ति मिले

ससुराल जाना – गृह कलेश में वृद्धि हो

समुद्र पार करना – उनत्ति मिले

साइकिल देखना -सफलता मिले

साइकिल चलाना – काम में तरक्की मिले

साइन बोर्ड देखना – व्यापार में लाभ हो

सावन देखना – जीवन में ख़ुशी मिले

साडी देखना – विवाह हो , दाम्पत्य जीवन में सुख मिले

सारस देखना – धन वृद्धि हो

साला या साली देखना – दाम्पत्य जीवन में सुख हो , मेहमान आये , धनवृद्धि हो

सागर सूखता देखना -बीमारी आये , अकाल पड़े

सारंगी बजाना – अपयश मिले , धन हानि हो

साग देखना – अचानक विवाद हो , सावधान रहे

साबुन देखना – स्वस्थ्य लाभ हो , बीमारी दूर हो

सांप मारना या पकड़ना – दुश्मन पर विजय हो , अचानक धन मिले

सांप से डर जाना -नजदीकी मित्र से विश्वासघात मिले

सांप से बातें करना -शत्रु से लाभ मिले

सांप नेवले की लडाई देखना कोर्ट कचेहरी जाना पड़े

सांप के दांत देखना -नजदीकी रिश्तेदार हानि पहुंचाएंगे

सांप छत्त से गिरना – घर में बीमारी आये तथा कोर्ट कचहरी में हानि हो

सांप का मांस देखना या खाना – अपार धन आये परन्तु घर में धन रुके नहीं

सिपाही देखना – कानून के विपरीत काम कारनेका संकेत

सिनेमा देखना – समय व्यर्थ में नष्ट हो

सिगरेट पीते देखना -व्यर्थ में धन बर्बाद हो

सिलाई मशीन देखना – पति पत्नी में झगडा हो

सिलाई करना – बिगडा काम बन जाये

सियार देखना -धन हानि हो , बीमारी आये

सिन्दूर देखना – दुर्घटना की सम्भावना

सिन्दूर देवता पर चडाना – मनोकामना पूर्ण हो

सीताफल देखना -कुछ समय के बाद गरीबी दूर होगी

सीता जी को देखना -मान सम्मान बढे

सीमा पार करना -विदेश व्यापार में लाभ हो

सिप्पी देखना – उसे देखने पर हानि , उठाने पर लाभ

सीना चौडा होना – लोकप्रियता में वृद्धि हो

सीड़ी पर चढ़ना – काम में असफलता मिले

सुनहार देखना – साथी से धोखा मिले

सुटली कमर में बंधना -गरीबी आये , संघर्ष करना पढ़े

सुम्भा देखना (लोहे का)- कार्य में सफलता मिले , विवाह हो

सुदर्शन चक्र देखना – बईमानी का दंड शीघ्र मिले

सुपारी देखना -विवाह शीघ्र हो , मित्रों की संख्या में वृद्धि हो

सुनहरी रंग देखना – रुका हुआ धन मिले

सुरंग देखना या सुरंग में प्रवेश करना – नया कार्य आरंभ हो

सूई देखना – एक देखने पर सुख तथा अनेक देखने पर कष्ट में वृद्धि हो

सुलगती आग देखना – शोक समाचार मिले

सुन्दर स्त्री देखना – मान सम्मान में हानि हो

सुनहरी धूप देखना – सरकार से धन लाभ हो , मान सम्मान बढे

सुराही देखना – गृहस्थी में तनाव हो , पति या पत्नी का चरित्र ख़राब हो , रोग दूर हो

सुगंध महसूस करना – चमड़ी की बीमारी आये

सुनसान जगह देखना – बलवृद्धि हो

सूद लेते देखना – मुफ्त का धन मिले

सूद देते देखना -धन नाश हो , गरीबी आये

सूली पर चढ़ना – चिन्ताओ से मुक्ति हो , शुभ समाचार मिले

सूर्य देखना – धन संपत्ति तथा मान सम्मान बढे

सूर्य की तरह अपना चेहरा चमकता देखना – पुरस्कार मिले , मान सम्मान बढे

सूअर देखना – बुरे कामों में फँसना पड़े , बुरे लोगों से दोस्ती हो तथा मानहानि हो

सूअर का दूध पीना – चरित्र खराब हो , जेल जाना पढ़े

सूरजमुखी का फूल देखना – संकट आने की सूचना

सूर्य चन्द्र आदि का विनाश देखना – मृत्यु तुल्य कष्ट मिले

सेम की फली देखना – धन हानि हो परन्तु अच्छा भोजन मिले

सेब का फल देखना – दुःख व् सुख में बराबर वृद्धि हो

सेंध लगाना – प्रिये वस्तु गुम होना

सेवा करना – मेहनत का फल मिलेगा

सेवा करवाना – स्वस्थ्य खराब होने के लक्षण है

सेहरा बंधना – दाम्पत्य जीवन में कलेश की संभावना

सैनिक देखना – साहस में वृद्धि हो

सोंठ खाना – धन हानि हो , स्वस्थ्य में सुधार हो

सोना देखना – परिवार में बीमारी बढे , धन हानि हो

सोना मिलना – धन वृद्धि हो

सोना दुसरे को देना – अपनी मुर्खता से दूसरों को लाभ पहुंचाना

सोना लुटाना – परेशानिया बढे , अपमान सहना पढ़े

सोना गिरवी रखना – बईमानी करे और अपमान हो

सोते हुए शेर को देखना – निडरता से कार्य करे , सफलता मिलेगी

सोलह श्रृंगार देखना -स्वस्थ्य खराब होने का संकेत

स्वप्न में मानिक रत्न देखना
शक्ति तथा अधिकारों में वृद्धि

स्वप्न में मोती रत्न देखना – मानसिक शांति मिले

स्वप्न में मूंगा रत्न देखना – शत्रु पर विजय मिले

स्वप्न में पन्ना रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि हो

स्वप्न में पुखराज रत्न देखना वैर विरोध की भावना बढे

स्वप्न में हीरा रत्न देखना – आर्थिक प्रगति हो

स्वप्न में नीलम रत्न देखना – उन्नत्ति हो

स्वप्न में गोमेद रत्न देखना – समस्या अचानक आये

स्वप्न में लहसुनिया रत्न देखना – मान सम्मान बढे

स्वप्न में फेरोज़ा रत्न देखना व्यवसाय में वृद्धि
ॐ साईंराम ।।
सदैव आपकी सेवा में
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Friday, April 24, 2015

Zone there you got your life partner

विवाह कोनसी दिशा में होगा
श्री गुरुदेवदत्त ।।
शुभ प्रभात। आओ जाने ज्योतिष के इस अंक में प्रस्तुत है विवाह किस दिशा और किस जगह होगा को जानने का सरल उपाय या तरीका।

कुंडली में जिस भाव में शुक्र स्थित है, वहां से सातवें भाव में जो राशि स्थित है उस राशि के स्वामी की दिशा में ही जातक के जन्म स्थान से ससुराल होता है।

जैसे किसी की कुंडली में शुक्र कर्क राशि में स्थित है तो इस राशि से सातवीं राशि मकर होती है, मकर राशि के स्वामी शनि होते हैं और इनकी दिशा पश्चिम है तो उक्त जातक का ससुराल उसके जन्म स्थान से पश्चिम मे होता है। शुक्र से यदि सप्तमेश नजदीक है तो ससुराल उसी दिशा मे नजदीक व दूर स्थित है तो ससुराल जन्म स्थान से दूर होगा।
विशेष- कुछ ज्योतिषी सप्तम भाव का स्वामी का जिस भाव में विराजित है उस भाव के स्वामी की दिशा और स्वभाव के आधार पर यह आकलन करते है।
ॐ साईंराम ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Tuesday, April 21, 2015

Effects of Mars

मंगल गृह के कारण होने वाली बाधाएं
श्री गुरुदेवदत्त ।।

ये कहावत है कि मंगल करें दंगल इसलिए जन्म पत्रिका में मंगल अगर लग्न कुंडली या चन्द्र कुंडली में — प्रथम, चतुर्थ ,सप्तम, अष्टम, द्वादश भाव में स्थित हों तो मांगलिक दोष बनता है

जन्म पत्रिका में अगर मंगल गृह ठीक नहीं हों तो जातक का जीवन बहुत कष्टकारी हो सकता है ।बाधाएं निम्न क्षत्रों में हो सकती हैं ..
शिक्षा
कैरियर
विवाह
संतान
संपत्ति
भाईके सुख में कमी
रक्त की बीमारी
हड्डी की बीमारी

अतः मंगल शांति पूजा के उपाय शीघ्र ही करवा लेने चाहिए !

सबसे पहले श्री मंगल नाथ मंदिर उज्जैन में दही भात की पूजा करवाकर शांति करवानी चाहिए !

हनुमान जी की पूजा उपासना , हनुमान चलीसा का पाठ , सरसों के तेल का दीपक मंदिर में प्रज्वलित कर वहीँ पर बैठ कर्र हनुमान चालीसा व हनुमानअष्टक का पाठ करना चाहिए।
ॐ साईंराम ।।
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Monday, April 20, 2015

Astrology and dreams results

सपनो की दुनियां और ज्योतिष
श्री गुरुदेवदत्त ।।
रात्रि को चिर निद्रा में दिखायी देने वाले सपनो के आज के अंक में प्रस्तुत है ह शब्द से जुड़े स्वप्न के फलादेश -

हड्डी देखना – शुभ समाचार मिले , स्वस्थ्य में लाभ

हरियाली देखना – मन प्रसन्न रहेगा

हल्दी की गाँठ देखना – आर्थिक प्रगति हो

हल्दी पीसी देखना – परेशानी आये

हवा में उड़ते देखना – यात्रा में कष्ट आये

हवा तेजी से चलते देखना – दुखो में वृद्धि हो

हवा माध्यम चलते देखना -शत्रु हानि पहुंचाए

हथकडी देखना – परेशानियां बढे

हथेली देखना (पुरुष का) – शत्रुता बढे

हथेली देखना (स्त्री का ) – प्यार बढे

हवेली देखना – किसी नजदीकी व्यक्ति की मृत्यु का समाचार मिले

हकीम देखना – बीमारी आये परन्तु ज्ञान भी बढे

हत्या होते देखना – दीर्घायु हो , दुश्मनों से सावधान रहे

हत्या करना – लडाई झगडा शान्ति होने के लक्षण

हरा रंग देखना – सुख शान्ति में वृद्धि हो

हथौडा देखना – सम्मान मिले परन्तु परिश्रम अधिक हो

हशीश पीते देखना – कष्टों में वृद्धि हो

हजामत बनते देखना – ठगे जाने की संभावना

हज करना – मनोकामना पूर्ण हो

हमला होना – दुर्घटना की पूर्व समाचार

हलवाई की दूकान देखना – इच्छाए बहुत बढे परन्तु अपूर्ण रहे

हवाई जहाज़ देखना – व्यापार में अधिक झूठ बोलना पढ़े , लाभ हो

हँसना – अकारण परेशानी बढे

हसती स्त्री देखना – गृह कलेश बढे

हसाना (दूसरों के द्वारा ) – मनोकामना पूर्ण हो

हसुली देखना – जीवन में आनंद बढे

हाथ देखना – अच्चे मित्रों से मुलाकात हो

हाथ कटा हुआ देखना – लडाई में हानि हो

हाथ पर चित्रकारी देखना – आजीविका के लिए संघर्ष करना पढ़े

हाथ धोना – काम अपूर्ण रहे , नाकामयाबी मिले

हाथ से आसमान छूना – मनोकामना पूर्ण हो , काम में तरक्की मिले

हाथ बंधे देखना – बुरे काम का बुरा नतीजा भुगतना पढ़े

हाथी देखना – संतान हो , नया कार्य शुरू हो

हाथी की सवारी करना – मान सम्मान बढे , सरकार से लाभ हो

हाथी मस्त देखना – धनवृद्धि हो

हिसाब किताब लगाना – अपव्यय हो , काम में सावधानी बरते

हिरन देखना – सफलता मिले , शीघ्र विवाह हो , धन लाभ हो

हिमपात देखना – बिगडे काम बने , काफी धन की प्राप्ति हो

हिमखंड देखना – किसी नजदीकी मित्र से धोखा मिलने की संभावना है

हीरा देखना – धन वृद्धि हो परन्तु संघर्ष अधिक हो

हुंकार सुनना – शत्रु से पराजय होना पड़े

हुक्का पीना या पिलाना – मित्रता बढे

हुक्का पीते देखना – व्यर्थ में समय खराब हो

हुकुम का इक्का देखना – चलते हुए काम में रुकावट आएगी , निराशा बढे

होटल देखना – काम में तंगी आये , धन की कमी हो
ॐ साईंराम ।।
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Thursday, April 16, 2015

अपार सम्पति के लिए इसे अपनाये

ऋग्वेद  का प्रसिद्ध मन्त्र जो देता है अपार लक्ष्मी ।

श्री गुरुदेवदत्त ।।
आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए इसे अपनाये ।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतरू पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं - उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।
निम्न मन्त्र को शुभमुहूर्त्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमपूर्वक पांच माला श्रद्धा से भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके जप करता रहे  ॐ क्लीं नन्दादि गोकुलत्राता दाता दारिर्द्यभंजन।सर्वमंगलदाता च सर्वकाम प्रदायकरू। श्रीकृष्णाय नम:
ॐ साईंराम ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़

Wednesday, April 15, 2015

Astrology precaution at pregnency

गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनका दान
श्री गुरुदेवदत्त ।।
माँ बनना प्रत्येक विवाहित महिला का ख्वाब होता है। कभी कभी जब कुंडली में पंचम और सप्तम भाव खराब हो तो संतान सुख में कमी गर्भपात जेसी घटनाए आम बात है।
आज यहाँ बताया जा रहा है संतान जनन के समय अपनाये जाने वाले ज्योतिषी उपाय।

मुख्यतया गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के अधिपति ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ क्षय का भय नहीं रहता ।गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनके दान निम्नलिखित हैं

प्रथम मास - शुक्र (चावल चीनी ,गेहूं का आटा दूध दही चांदी श्वेत वस्त्र व दक्षिणा शुक्रवार को )

द्वितीय मास -मंगल ( गुड ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को )

तृतीय मास — गुरु ( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण , पपीता चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को )

चतुर्थ मास — सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को )

पंचम मास - चन्द्र चावल चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध दही चांदी श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )

षष्ट मास - शनि  काले तिल ,काले उडद ,तेल ,लोहा काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को )

सप्तम मास -बुध  हरा वस्त्र मूंग ,कांसे का पात्र हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को

अष्टम मास -गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से सम्बंधित दान उसके वार में यदि पता न हो तो अन्न वस्त्र व फल का दान अष्टम मास लगते ही कर दें |

नवं मास चन्द्र चावल ,चीनी गेहूं का आटा ,दूध ,दही चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को ।
विशेष- abortion रोकने के लिए किसी भी दरगाह पे जाकर onex लोबान में निकालकर बायीं भुजा पे बांधे ।
ॐ साईराम ।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

Saturday, April 11, 2015

Food Habits and your planet

खानपान की पसंद से जानें कुंडली के कमजोर ग्रह

श्री गुरुदेवदत्त ।।

अपनी छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान दिया जाए तो हम यह पता कर सकते हैं कि हमारी कुंडली का कौन-सा ग्रह कमजोर है।

आप अपनी पसंद के खाने से जान सकते हैं कि आपका कौन सा ग्रह कमजोर है, जैसे-

लाल किताब के अनुसार जिस व्यक्ति का गुरु कमजोर होता है उसे पीली चीजें अधिक पसंद आती हैं। ऐसा व्यक्ति चने की दाल, सोनपापड़ी, बेसन के लड्डू एवं हल्दी खाना अधिक पसंद करता है।

कमजोर मंगल वाले व्यक्ति की पसंद मसूर की दाल, शहद एवं लाल मिर्च होती है। इन्हें मीठा भी काफी पसंद होता है।

जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, ऐसे लोग नमकीन भोजन के शौकीन होते हैं। इन्हें तेज नमक खाना पसंद होता है।

चंद्रमा और शुक्र दोनों का रंग सफेद है। जिनकी जन्मपत्री में चन्द्र या शुक्र कमजोर होता है, वे दूध, दही, चावल, मिश्री एवं आइसक्रीम के दीवाने होते हैं।

उड़द, तिल, खिचड़ी, सरसों तेल आदि का कारक शनि माना जाता है। कमजोर शनि वाले व्यक्तियों को तैलीय चीजें काफी पसंद आती हैं। शनि की दशा में तैलीय चीजें अधिक मात्रा में खाने से शनि का कुप्रभाव दूर होता है।

जिनका बुध कमजोर होता है उन्हें मूंग की दाल, साग और मटर रुचिकर लगता है।
ॐ साईंराम ।।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
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Friday, April 10, 2015

विष्णु सहस्त्रनाम मिटाये सारे कष्ट

भगवान विष्णु के 1000 नामों की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पेश है भगवान विष्णु के 1000 नाम-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः ।भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। 1 ।।पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः।अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। 2 ।।योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः ।नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। 3 ।।सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभु: ईश्वरः ।। 4 ।।स्वयंभूः शम्भु: आदित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः ।अनादि-निधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः ।। 5 ।।अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभो-अमरप्रभुः ।विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः ।। 6 ।।अग्राह्यः शाश्वतः कृष्णो लोहिताक्षः प्रतर्दनः ।प्रभूतः त्रिककुब-धाम पवित्रं मंगलं परं ।। 7।।ईशानः प्राणदः प्राणो ज्येष्ठः श्रेष्ठः प्रजापतिः ।हिरण्य-गर्भो भू-गर्भो माधवो मधुसूदनः ।। 8 ।।ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रमः क्रमः ।अनुत्तमो दुराधर्षः कृतज्ञः कृति: आत्मवान ।। 9 ।।सुरेशः शरणं शर्म विश्व-रेताः प्रजा-भवः ।अहः संवत्सरो व्यालः प्रत्ययः सर्वदर्शनः ।। 10 ।।अजः सर्वेश्वरः सिद्धः सिद्धिः सर्वादि: अच्युतः ।वृषाकपि: अमेयात्मा सर्व-योग-विनिःसृतः ।। 11 ।।वसु:वसुमनाः सत्यः समात्मा संमितः समः ।अमोघः पुण्डरीकाक्षो वृषकर्मा वृषाकृतिः ।। 12 ।।रुद्रो बहु-शिरा बभ्रु: विश्वयोनिः शुचि-श्रवाः ।अमृतः शाश्वतः स्थाणु: वरारोहो महातपाः ।। 13 ।।सर्वगः सर्वविद्-भानु:विष्वक-सेनो जनार्दनः ।वेदो वेदविद-अव्यंगो वेदांगो वेदवित् कविः ।। 14 ।।लोकाध्यक्षः सुराध्यक्षो धर्माध्यक्षः कृता-कृतः ।चतुरात्मा चतुर्व्यूह:-चतुर्दंष्ट्र:-चतुर्भुजः ।। 15 ।।भ्राजिष्णु भोजनं भोक्ता सहिष्णु: जगदादिजः ।अनघो विजयो जेता विश्वयोनिः पुनर्वसुः ।। 16 ।।उपेंद्रो वामनः प्रांशु: अमोघः शुचि: ऊर्जितः ।अतींद्रः संग्रहः सर्गो धृतात्मा नियमो यमः ।। 17 ।।वेद्यो वैद्यः सदायोगी वीरहा माधवो मधुः।अति-इंद्रियो महामायो महोत्साहो महाबलः ।। 18 ।।महाबुद्धि: महा-वीर्यो महा-शक्ति: महा-द्युतिः।अनिर्देश्य-वपुः श्रीमान अमेयात्मा महाद्रि-धृक ।। 19 ।।

महेष्वासो महीभर्ता श्रीनिवासः सतां गतिः ।अनिरुद्धः सुरानंदो गोविंदो गोविदां-पतिः ।। 20 ।।मरीचि:दमनो हंसः सुपर्णो भुजगोत्तमः ।हिरण्यनाभः सुतपाः पद्मनाभः प्रजापतिः ।। 21 ।।अमृत्युः सर्व-दृक् सिंहः सन-धाता संधिमान स्थिरः ।अजो दुर्मर्षणः शास्ता विश्रुतात्मा सुरारिहा ।। 22 ।।गुरुःगुरुतमो धामः सत्यः सत्य-पराक्रमः ।निमिषो-अ-निमिषः स्रग्वी वाचस्पति: उदार-धीः ।। 23 ।।अग्रणी: ग्रामणीः श्रीमान न्यायो नेता समीरणः ।सहस्र-मूर्धा विश्वात्मा सहस्राक्षः सहस्रपात ।। 24 ।।आवर्तनो निवृत्तात्मा संवृतः सं-प्रमर्दनः ।अहः संवर्तको वह्निः अनिलो धरणीधरः ।। 25 ।।सुप्रसादः प्रसन्नात्मा विश्वधृक्-विश्वभुक्-विभुः ।सत्कर्ता सकृतः साधु: जह्नु:-नारायणो नरः ।। 26 ।।असंख्येयो-अप्रमेयात्मा विशिष्टः शिष्ट-कृत्-शुचिः ।सिद्धार्थः सिद्धसंकल्पः सिद्धिदः सिद्धिसाधनः ।। 27।।वृषाही वृषभो विष्णु: वृषपर्वा वृषोदरः ।वर्धनो वर्धमानश्च विविक्तः श्रुति-सागरः ।। 28 ।।सुभुजो दुर्धरो वाग्मी महेंद्रो वसुदो वसुः ।नैक-रूपो बृहद-रूपः शिपिविष्टः प्रकाशनः ।। 29 ।।ओज: तेजो-द्युतिधरः प्रकाश-आत्मा प्रतापनः ।ऋद्धः स्पष्टाक्षरो मंत्र:चंद्रांशु: भास्कर-द्युतिः ।। 30 ।।अमृतांशूद्भवो भानुः शशबिंदुः सुरेश्वरः ।औषधं जगतः सेतुः सत्य-धर्म-पराक्रमः ।। 31 ।।भूत-भव्य-भवत्-नाथः पवनः पावनो-अनलः ।कामहा कामकृत-कांतः कामः कामप्रदः प्रभुः ।। 32 ।।युगादि-कृत युगावर्तो नैकमायो महाशनः ।अदृश्यो व्यक्तरूपश्च सहस्रजित्-अनंतजित ।। 33 ।।इष्टो विशिष्टः शिष्टेष्टः शिखंडी नहुषो वृषः ।क्रोधहा क्रोधकृत कर्ता विश्वबाहु: महीधरः ।। 34 ।।अच्युतः प्रथितः प्राणः प्राणदो वासवानुजः ।अपाम निधिरधिष्टानम् अप्रमत्तः प्रतिष्ठितः ।। 35 ।।स्कन्दः स्कन्द-धरो धुर्यो वरदो वायुवाहनः ।वासुदेवो बृहद भानु: आदिदेवः पुरंदरः ।। 36 ।।अशोक: तारण: तारः शूरः शौरि: जनेश्वर: ।अनुकूलः शतावर्तः पद्मी पद्मनिभेक्षणः ।। 37 ।।पद्मनाभो-अरविंदाक्षः पद्मगर्भः शरीरभृत ।महर्धि-ऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुड़ध्वजः ।। 38 ।।अतुलः शरभो भीमः समयज्ञो हविर्हरिः ।सर्वलक्षण लक्षण्यो लक्ष्मीवान समितिंजयः ।। 39 ।।विक्षरो रोहितो मार्गो हेतु: दामोदरः सहः ।महीधरो महाभागो वेगवान-अमिताशनः ।। 40 ।।उद्भवः क्षोभणो देवः श्रीगर्भः परमेश्वरः ।करणं कारणं कर्ता विकर्ता गहनो गुहः ।। 41 ।।व्यवसायो व्यवस्थानः संस्थानः स्थानदो-ध्रुवः ।परर्रद्वि परमस्पष्टः तुष्टः पुष्टः शुभेक्षणः ।। 42 ।।रामो विरामो विरजो मार्गो नेयो नयो-अनयः ।वीरः शक्तिमतां श्रेष्ठ: धर्मो धर्मविदुत्तमः ।। 43 ।।वैकुंठः पुरुषः प्राणः प्राणदः प्रणवः पृथुः ।हिरण्यगर्भः शत्रुघ्नो व्याप्तो वायुरधोक्षजः ।। 44।।ऋतुः सुदर्शनः कालः परमेष्ठी परिग्रहः ।उग्रः संवत्सरो दक्षो विश्रामो विश्व-दक्षिणः ।। 45 ।।