Friday, December 27, 2013

रत्न ,मन्त्र और यंत्र और आप

रत्न ,मंत्र ,यन्त्र  एवं  ओषधि  द्वारा  ग्रह  बाधा  निवारण

     यह  सर्वविदित  है  की  इस  धरती  पर  चाहे  इंसान  हो  या  पशु -पक्षी  सभी  पर  ग्रहो  का  प्रभाव  निश्चित  रूप  से लक्षित  होता है , तब  ही  तो  एक साधारण  सा  शवान  किसी  करोड़पति  की  गाडी  में  आराम  फरमाता  है  और एक इंसान  को छत  छुपाने  के  लिए  जगह  नहीं मिल  पाती  है ।  यह  सब  ग्रहो  का  ही  खेल  है , आज इसी  सम्बन्ध  में  हम  यहाँ चर्चा  करेंगे  कि किस प्रकार  प्रतिकूल  ग्रहो  को  रत्न ,मंत्र ,यन्त्र  और  औषधि  के  माध्यम  से अनुकूल  किया जा  सकता  है । 
     जब इंसान का  गर्भाधान  होता है  तब से इस  ब्रह्माण्ड  में  मोजुद  ग्रहो , नक्षत्रो  और किरणो  का प्रभाव  प्रारम्भ  हो जाता  है , कई  गृह शुभ होते   हुए  भी  दूषित  होकर  अशुभ  परिणाम  देते  है और कई  बार  अशुभ  ग्रह  शुभ  फलो  के कारक  बन जाते  है ।  यहाँ  मै  बताना  चाहूंगा  कि ग्रहो  की  गणना  देश ,काल और परिस्थ्ती  के   आधार  पे  हो  तो  ज्यादा उचित  होगा । 
     अब हम जानते  है  कि  किस प्रकार  ग्रहो  कि  बाधाओं  को को  रत्न ,मंत्र ,यन्त्र  और  औषधि  के  माध्यम  से अनुकूल  किया जा  सकता  है । 
(1 ) सूर्य  ग्रह  और  बाधा  निवारण -
     नेत्र  रोग , चर्म रोग  और समस्त  रोगो के  निवारण , आयु  वृद्धि , सर्वकामना  हेतु  सूर्य का अनुकूल  होना  बेहद  जरुरी  हे ।  इस  हेतु  आप  ताम्बे  के  पात्र  में  लाल  चन्दन  से अष्ठ  कमल  दल  लिखकर  उस  पर सूर्य पूजा  करे ।  भोजन से पहले  लाल कपडे  पहन  कर  ॐ  सूर्याय  नमः  का 540  बार  जाप करे , लाल  चन्दन  का तिलक लगाए ।  व्रत के दिन  चावल , गेहु , घी ,और गुड  से बना  भोजन करे  सूर्यास्त  से पहले ।  याद 
 रहे  अगर  नेत्र  सम्बन्धी  रोग  हे तो  नमक  नहीं  खाए । 
सूर्य  ग्रह  का  अचूक  मंत्र -
रसेन्दु  नगवानरामा युग्माढ़कवेदा  नवकोष्ठ  मध्ये । 
विलिख्यधार्य गद नाशनाय  वदन्ति  गर्गा  दि  मुनीन्द्रा :।। 

शेष  अगले  ब्लॉग  में --------------------------

शुभम्  भवतु। 

सदैव  आपका 
डॉ०  संजय  गील

साईं  ज्योतिष  अनुसंधान  केंद्र , चित्तौड़गढ़ (राज )



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