95 साल बाद बन रहे दुर्लभ महासंयोग में मनाया जाएगा रक्षाबंधन पर्व
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रतिवर्ष रक्षाबंधन पर्व पर बहनें भाई की सलामती एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई रक्षा का वचन देते हैं । हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस पर्व में अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है एवं इसी आधार पर भद्रा रहित रक्षाबंधन पर्व शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा । ज्योतिषीय गणना के अनुसार वर्ष 1930 में भी शनिवार 09 अगस्त के दिन सौभाग्य , सर्वार्थ सिद्धि, शोभनयोग और श्रवण नक्षत्र के योग में राखी का त्योहार मनाया गया था, जिसकी पुनरावृति 95 वर्षों बाद इस बार रक्षाबंधन पर्व पर हो रही है । कुल मिलाकर कहें तो 95 साल बाद राखी का त्योहार समान दिन एवं समय, नक्षत्र और योग में मनाया जाएगा। ।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से से प्रारंभ होकर शनिवार 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर
पर समाप्त होगी । इस प्रकार उदया तिथि के आधार पर रक्षाबंधन का पर्व शनिवार, 9 अगस्त को ही मनाया जाएगा । मान्यताओ के आधार पर रक्षाबंधन पर भद्रा काल, पंचक, राहुकाल, दुर्मुहुर्त और गुलिक काल को छोड़कर ही राखी बांधनी चाहिए इस प्रकार 9 अगस्त को सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का अत्यंत शुभ मुहूर्त है।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
सौभाग्य योग- सुबह 4 बजकर 8 मिनट से 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक
चौघड़िया मुहूर्त
लाभ काल- प्रातः 10:15 से दोपहर 12:00 बजे
अमृत काल-दोपहर 1:30 से 3:00 बजे
चर काल- सायं 4:30 से 6:00 बजे
मुख्यतः इस वर्ष रक्षाबंधन पर पंचक भी बाधक भी नहीं बनेंगे। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पंचक का प्रारंभ दिनांक 09 अगस्त 2025 की अर्द्धरात्रि को 02 बजकर 11 मिनट से होगा। अत: इस वर्ष रक्षाबंधन के पुनीत-पावन पर्व पर मुहूर्त में पंचक का भी कोई अवरोध नहीं होगा। वर्षों बाद ऐसा शुभ संयोग आया है जब रक्षाबंधन एवं श्रावणी उपाकर्म के दिन भद्रा एवं पंचक दोनों का ही प्रभाव नहीं होगा।
रक्षासूत्र बाँधने का मंत्र –
येन बद्धो बली राजा दानवेद्रो। महाबला।। तेन त्वामनु बघ्नामि रक्षो मा चल मा चलः।।
Dr. Sanjay Geel
Sai Astrovision Society Chittorgarh
9829747053,7425999259
No comments:
Post a Comment