देवउठनी एकादशी पर 200 दिन बाद आज से गूंजेगी शहनाईया
भगवान विष्णु की उपासना से मिलेगा धन-संपदा और सौभाग्य का आशीर्वाद
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास का समापन होता है। धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु शयन निद्रा से जाग्रत होकर पुन: सृष्टि का कार्यभार संभालने लगते हैं और भगवान भोलेनाथ फिर से कैलाश यात्रा पर निकल पड़ते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन ही कुछ जगहों पर तुलसी विवाह भी कराया जाता है और कुछ जगहों पर एकादशी व्रत पारण के दिन यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह कराते हैं। हिन्दू पंचाग के आधार पर इस बार देवउठनी एकादशी का पावन पर्व मंगलवार, 12 नवंबर को मनाया जा रहा है, इसके साथ ही दौ सो दिवस के बाद विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य भी प्रारम्भ हो रहे है ।
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की एकादशी तिथि सोमवार, 11 नवंबर को शाम 06 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होकर मंगलवार, 12 नवंबर को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार उदया तिथि के आधार पर देवउठनी एकादशी व्रत मंगलवार 12 नवंबर 2024, को ही रखा जाएगा । इसी प्रकार देवउठनी एकादशी व्रत का पारण बुधवार, 13 नवंबर 2024, को किया जाएगा। व्रत पारण का समय 13 नवंबर को सुबह 06 बजकर 42 मिनट से सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा ।
ये है मान्यता –
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार देवउठनी एकादशी पूजा-पाठ के साथ ही कुछ उपाय अपनाना भी लाभकारी माना गया है. यदि विवाह में देरी हो रही है या बाधाएं आ रही हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन किये गए उपायो से सभी बाधाएं दूर होती है । मान्यता है की भगवान विष्णु का इस जागरण मंत्र से आह्वान करने से सुख और सम्पदा का वास होता है ।
मंत्र - 'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।'
'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:।।'
ये करे उपाय -
• यदि किसी युवक या युवती के विवाह में बाधाएं आ रही हैं या रिश्ता पक्का होते-होते रह जाता है तो उसे देवउठनी एकादशी के दिन केसर व हल्दी का यह उपाय करना चाहिए । देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करें और उन्हें केसर व हल्दी का तिलक लगाएं, इसके बाद उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करें ।
• अगर वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ रही हैं और पति-पत्नी के रिश्ते में खटास उत्पन्न हो गई है तो देवउठनी एकादशी के दिन कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर तुलसी के पौधे में अर्पित करें ।
• देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में घी के 5 दीपक जलाएं. फिर विधि-विधान से मां तुलसी और भगवान विष्णु का पूजन करें । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन इस उपाय को करने से जीवन से सभी परेशानियां दूर होती हैं और खुशहाली आती है ।
विवाह के शुभ मुहूर्त :-
हिन्दू पंचाग के आधार पर देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हो रहे विवाह के साथ ही 12,13,16,17,18,22,23,25,26,28 और 29 नवंबर के बाद दिसम्बर में 4 ,5,9,10,14 और 15 को इस वर्ष अंतिम विवाह मुहूर्त रहेगा
Dr. Sanjay Geel
President
Sai Astrovision Society, Chittorgarh (Raj.)
9829747053,7425999259