होलिका पर्व 13 को , धुलंडी 14 को मनायी जाएगी, खेले जाएंगे रंग
होलिका दहन पर इस बार रहेगी भद्रा की छाया, चन्द्र ग्रहण का नहीं रहेगा प्रभाव
सनातन धर्म में होली से एक दिन पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया
जाता है । होली रंगों,
उमंग और नई ऊर्जा का पर्व होने के साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है । साथ ही
होलिका की अग्नि से आसपास और हमारे जीवन की समस्त नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है ।
यही वजह है कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में होलिका दहन किया जाता है । आमतौर पर सूर्यास्त के बाद होलिका दहन करने की
परंपरा है, लेकिन इस बार भद्रा का निवास
मृत्युलोक में होने से होलिका दहन करने के
लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी । वैदिक
पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की फाल्गुन पूर्णिमा तिथि गुरूवार,13
मार्च 2025 को सुबह 10.35 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार, 14 मार्च
को दोपहर 12.23 पर समाप्त होगी । इस बार होली पर पूर्वा
फाल्गुनी नक्षत्र,शूल योग का निर्माण हो रहा
है जो शत्रु और रोग शमन में सहायक है। साथ
ही मीन राशि में बुध, शुक्र व राहु का संचरण एवं कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति
को अत्यंत पुण्यकारी माना जा रहा है ।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय मान्यताओ एवं वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ.
संजय गील ने बताया की होलिका दहन के लिए
भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि उत्तम है एवं इस
बार चंद्र के सिंह राशि में स्थित होने से भद्रा का निवास मृत्युलोक में माना गया है जो कि
अशुभ व हानिकारक है। मुख्यतः गुरूवार, 13 मार्च को भद्रा पूंछ काल शाम 06.57 मिनट से रात 08.14
तक रहेगा । इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू हो जाएगा जो रात 10.22
मिनट तक रहेगा अतः इसी दिन
रात्रि 11:26
से 12 :30 मिनट के मध्य
होलिका दहन के लिए करीब 1 घंटे का शुभ मुहूर्त है ।इस
प्रकार होलिका दहन गुरूवार, 13 मार्च को होगा वही शुक्रवार,14
मार्च को धुलंडी मनायी जाएगी ।
रंगों के त्योहार पर नहीं होगा चंद्रग्रहण का प्रभाव
ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर शुक्रवार 14
मार्च को होली पर्व पर रंग खेला जाएगा एवं इसी दिन सुबह 9 बजकर 27 मिनट से दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक
चंद्र ग्रहण भी रहेगा । इसके प्रभाव को अमेरिका,
पश्चिम यूरोप, पश्चिम अफ्रीका, अटलांटिक महासाागर, इटली, फ्रांस,
नार्वे, स्वीडन, रूस के
पूर्वी भाग में देखा जा सकेगा, किन्तु इसका प्रभाव सम्पूर्ण भारत में नहीं रहेगा। इस प्रकार सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। फिर भी ग्रहण के
दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में केतु की युति होने से इस
अवधि में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए ।
ये करे उपाय :-
- अगर आप लंबे समय से आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो होली के दिन माता तुलसी
की पूजा आराधना करे । लाल कपड़े में
तुलसी की मंजरी को बांधकर तिजोरी अथवा पर्स में रखे मान्यता के अनुसार इससे आर्थिक तंगी से भी
मुक्ति मिलती है ।
- वास्तु दोष से मुक्ति पाने के लिए होली के दिन तुलसी पर गुलाल अर्पित करे
।
- लड्डू गोपाल का विधि विधान पूर्वक अभिषेक करें ।
- होलिका दहन के समय 11 बार “ॐ लक्ष्मी
नारायणाय नमः” मंत्र का जाप करें ।
- जलती हुई होलिका में सात गोमती चक्र अर्पित करें, यह धन संबंधी बाधाओं को दूर करेगा ।
- नौकरी में अगर बाधा आ रही है या रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, तो होलिका की अग्नि में जौ अर्पित करें और भगवान नारायण
का स्मरण करें.
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