गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनका दान
श्री गुरुदेवदत्त ।।
माँ बनना प्रत्येक विवाहित महिला का ख्वाब होता है। कभी कभी जब कुंडली में पंचम और सप्तम भाव खराब हो तो संतान सुख में कमी गर्भपात जेसी घटनाए आम बात है।
आज यहाँ बताया जा रहा है संतान जनन के समय अपनाये जाने वाले ज्योतिषी उपाय।
मुख्यतया गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के अधिपति ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ क्षय का भय नहीं रहता ।गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनके दान निम्नलिखित हैं
प्रथम मास - शुक्र (चावल चीनी ,गेहूं का आटा दूध दही चांदी श्वेत वस्त्र व दक्षिणा शुक्रवार को )
द्वितीय मास -मंगल ( गुड ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को )
तृतीय मास — गुरु ( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण , पपीता चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को )
चतुर्थ मास — सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को )
पंचम मास - चन्द्र चावल चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध दही चांदी श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )
षष्ट मास - शनि काले तिल ,काले उडद ,तेल ,लोहा काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को )
सप्तम मास -बुध हरा वस्त्र मूंग ,कांसे का पात्र हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को
अष्टम मास -गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से सम्बंधित दान उसके वार में यदि पता न हो तो अन्न वस्त्र व फल का दान अष्टम मास लगते ही कर दें |
नवं मास चन्द्र चावल ,चीनी गेहूं का आटा ,दूध ,दही चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को ।
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ॐ साईराम ।
आपका
डॉ संजय गील
श्री साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053
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