शारदीय नवरात्रि
बुधादित्य योग में माँ नवदुर्गा बरसायेगी भक्तो पर विशेष कृपा
मां भगवती को समर्पित शारदीय नवरात्रि पर्व आदिशक्ति के उपासकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मुख्यतः मां दुर्गा की उपासना नवरात्रि के रूप में वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि के रूप में की जाती है शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। हिंदू पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ संजय गील ने बताया की इस बार शारदीय नवरात्रि ज्योतिष के बुधादित्य योग में प्रतिपदा 15 अक्टूबर 2023 से शुरू होकर नवमी तिथि 23 अक्टूबर तक रहेगी।साथ ही 24 अक्टूबर 2023, बुधवार को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि पर बन रहा शुभ संयोग
इस बार आरंभ होने वाले शारदीय नवरात्रि ज्योतिष गणना और धार्मिक मान्यता के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योकि 30 वर्षो के पश्चात शारदीय नवरात्रि की शुरुआत ग्रहों के राजा सूर्य और बुद्ध द्वारा बनाए गए बुधादित्य योग में होगी। ज्योतिष गणना के अनुसार इस योग में शुरू हो रही नवरात्रि कई मानव जीव के लिए बहुत लाभकारी है। साधना में सफलता मिलेगी। वहीं भक्तों में पराक्रम और घर में धन की वृद्धि होती है
गज पर सवार माँ दुर्गा करेगी सबका कल्याण :-
प्रतिवर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र उत्सव का प्रारंभ होता है एवं मान्यता है कि हर नवरात्री में माँ नवदुर्गा किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती है। इससे यह पता चलता है कि यह वर्ष कैसा रहेगा। माता का आगमन और प्रस्थान दोनों ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष 2023 में मां दुर्गा शारदीय नवरात्रि में हाथी पर सवार होकर आ रही है। जब भी सोमवार के दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता का वाहन हाथी होता है। इसे अति शुभ माना जाता है। इससे जलवृद्धि होगी यानी इस वर्ष पानी की कमी नहीं रहेगी। इस साथ खेती फसल अच्छी रहेगी और जो भी व्रत का पालन करेगा उसके घर में सुख, शांति और समृद्धि रहेगी।
देवी भागवत के श्लोक में कहाँ गया है कि,शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा। शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला। बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा। सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ। संजय गील ने बताया है कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात्री 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ होगी एवं 15 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार उदयातिथि के आधार शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 15 अक्टूबर को है और इस दिन मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन ही कलश या घट स्थापना भी की जाएगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस तरह से कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त की अवधि केवल 48 मिनट की है ।
घटस्थापना तिथि - रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त - प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक ।
अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक ।
नवरात्रि कलश या घट स्थापना विधि-
नवरात्रि में कलश या घटस्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है। कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाया जाता है और उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, आदि रखी जाती है। कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे बालू की वेदी बनाई जाती है। जिसमें जौ बोये जाते हैं। जौ बोने की विधि धन-धान्य देने वाली देवी अन्नपूर्णा को खुश करने के लिए की जाती है। मां दुर्गा की फोटो या मूर्ति को पूजा स्थल के बीचों-बीच स्थापित करते है। जिसके बाद मां दुर्गा को श्रृंगार, रोली ,चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण अर्पित करते हैं। कलश में अखंड दीप जलाया जाता है जिसे व्रत के आखिरी दिन तक जलाया जाना चाहिए।
कलश स्थापना के नियम
नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है । कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है । नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है । घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं।रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है। घटस्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
कलश स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।
कैसे करें नवरात्रि में कलश स्थापना ?
नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।
शारदीय नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा होगी?
· 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को मां शैलपुत्री की पूजा होगी। मां शैलपुत्री को नारंगी रंग पसंद है। इस दिन घी का भोग लगाया जाता है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
मंत्र - ह्रीं शिवायै नम:।
· 16 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग पसंद है। इस दिन चीनी का भोग लगाने पर आयु में वृद्धि होती है।
मंत्र- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
· 17 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार मां चंद्रघंटा की पूजा होगी। मां चंद्रघंटा को लालरंग पसंद है। इस दिन दूध से बनी मिठाई खीर का भोग लगाने पर शारिरिक, मानसिक और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
मंत्र- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
· 18 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार को मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी। मां कुष्मांडा को ब्लू रंग पसंद है। इस दिन मालपुए का भोग लगाने पर बुद्धि में वृद्धि होती है।
मंत्र- ऐं ह्री देव्यै नम:।
· 19 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार को मां स्कंदमाता की पूजा होगी। मां स्कंदमाता को पीला रंग पसंद है। इस दिन केले का भोग लगाने पर अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है।
मंत्र- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
· 20 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। मां कात्यायनी को हरा रंग पसंद है। इस दिन शहद का भोग लगाने पर आकर्षण और सकारात्मकता परिणाम मिलता है।
मंत्र- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
· 21 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को ग्रे रंग पसंद है। गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में आप सफल होंगे।
मंत्र- क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
· 22 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को मां महागौरी की पूजा होगी। मां महागौरी को बैंगनी रंग पसंद है। इस दिन नारियल का भोग लगाने पर धनलाभ और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मंत्र- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
· 23 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी। मां सिद्धिदात्री को मोरपंखी पसंद है। इस दन हलवा, पुरी चना का भोग लगाने पर घर में सुख समृद्धि आती है।
मंत्र- ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
· 24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
कुंडली विश्लेषण , वास्तु परामर्श , रत्न जानकारी सहित अन्य ज्योतिषीय सेवाओ हेतु संपर्क करे-
डॉ. संजय गील ,
साईं एस्ट्रो विज़न सोसायटी , चितौड़गढ़
9829747053,7425999259