Thursday, March 27, 2025

चैत्र नवरात्र 2025 - सर्वार्थ सिद्धि, इंद्र एवं रवियोग के महासंयोग में बरसेगी माँ नवदुर्गा की विशेष कृपा

 

चैत्र नवरात्र  2025

सर्वार्थ सिद्धि, इंद्र एवं रवियोग के  महासंयोग में बरसेगी माँ नवदुर्गा की विशेष कृपा

हिन्दू धर्म में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा-अर्चना में चैत्र और आश्विन माह सहित गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है । प्रतिवर्ष हिन्दू पंचाग के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्रि मनायी  जाती है । मान्यता है कि नवरात्रि का व्रत रखने और माता की अराधना से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है । सामान्यतः आंग्ल कैलेंडर के आधार पर  अप्रैल के माह में चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ होती है, किन्तु  इस बार मार्च माह के अंत में ही चैत्र नवरात्रि स्थापना  देखने को मिल रही है ।

हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की इस बार नवसंवत्सर 2082 में चैत्र माह की नवरात्रि  रविवार,30 मार्च 2025 से प्रारंभ होकर सोमवार ,7 अप्रैल तक रहेगी । ज्योतिषीय  गणना के आधार पर तृतीया तिथि को विलोपित बताया गया है । इस  प्रकार  शुक्रवार,4 अप्रैल को सप्तमी और शनिवार, 5 अप्रैल 2025 को दुर्गा अष्टमी यानी महाष्टमी रहेगी । साथ ही नवरात्री व्रत एवं नवदुर्गा के स्वरूपों की पूजा रविवार, 6 अप्रैल रामनवमी के दिन तक ही की जा सकेगी  । मान्यताओं के आधार पर नवरात्रि का पारण सोमवार, 07 अप्रैल को किया जा सकेगा ।  

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस बार चैत्र नवरात्रि में रवि- इंद्र , सर्वार्थ सिद्धि ,बुधादित्य एवं शिववास योग  और  रेवती नक्षत्र के अद्भुत संयोग में माँ  नवदुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी  लोक पर आगमन करेगी,  जिसे  राष्ट्र एवं भक्तो के लिए  कल्याणकारी माना जा रहा है  उदया तिथि के अनुसार  चैत्र शुक्ल प्रतिपदा  रविवार 30 मार्च को है अतः इसी दिन  घट स्‍थापना होगी ।

घटस्थापना मुहूर्त-  प्रात: 06:13 से 10:22 तक ।

अभिजीत मुहूर्त-  दोपहर 12:11 से 01 :01  तक ।

चोघडीया  मुहूर्त –

लाभ अमृत  काल -प्रातः 09 :31  से 12 :36  तक

शुभ काल -  दोपहर 02:08  से 03 :41  तक

शुभ -अमृत काल -सायं 06 :46 से  रात्रि 09 :41 तक

नौ स्वरूपों की होगी पूजा

  • 30 मार्च- नवरात्रि प्रतिपदा- मां शैलपुत्री की पूजा और घट स्थापना
  • 31 मार्च- नवरात्रि द्वितीया- मा ब्रह्मचारिणी की पूजा और तृतीया - मां चंद्रघंटा की पूजा
  • 01 अप्रैल- नवरात्रि चतुर्थी- मां कुशमंडा की पूजा
  • 02 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी- मां स्कंदमाता की पूजा
  • 03 अप्रैल- नवरात्रि शष्ठी- मां कात्यायनी की पूजा
  • 04 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी- मां कालरात्रि की पूजा
  • 05 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी- मां महागौरी की पूजा
  • 06 अप्रैल- नवरात्रि नवमी- मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी
  • 07 अप्रैल - नवरात्रि पारण
माँ दुर्गा की कृपा आप सभी पर बनी रहे  
शुभकामनाओ सहित 
डॉ. संजय गील 
साईं  एस्ट्रो  विज़न सोसायटी , चितोडगढ़ 
9829747053,7425999259

Friday, March 21, 2025

30 साल बाद बन रहे चार महासंयोगों में उपायों से होगा अद्भुत लाभ

 30 साल बाद बन रहे चार  महासंयोगों में उपायों  से होगा  अद्भुत लाभ

ज्योतिषीय  आधार पर 30 साल बाद 29 मार्च 2025 शनिवार को 4 महासंयोग घटित हो रहे  हैं। माना जा रहा है कि इससे देश और दुनिया में बड़े परिवर्तन घटित होंगे । जहाँ कुछ राही के जातको को विशेष लाभ हो सकता है  वही इसके विपरीत कुछ के जीवन में तनाव और अवसाद देखने को मिल सकता है ।

मीन शनि योग: 29 मार्च को शनि ग्रह मीन राशि में गोचर करेगा। यह गोचर 29 की रात को 11 बजे होगा यानी इसका प्रभाव 30 मार्च से प्रारंभ होगा। इसी दिन शनि की सूर्य से युति भी बनेगी। यानी बृहस्प‍ित की राशि में सूर्य ग्रहण और शनि और सूर्य की युति भी रहेगी।

सूर्य ग्रहण: 29 मार्च को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भी होगा। इसी दौरान सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन में गोचर करके शनि ग्रह से युति बनाएंगे। यानी यह ग्रहण मीन राशि में लगेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 मार्च, दिन शनिवार को पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, जो कि चैत्र कृष्ण अमावस्या के दिन लगेगा। तथा भारतीय समयानुसार सूर्य ग्रहण का समय अपराह्न 02 बजकर 21 मिनट से सायंकाल 06 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

चैत्र नवरात्रि: मतांतर से चैत्र नवरात्रि 29 मार्च 2025 शनिवार को प्रारंभ हो रही है। उदयातिथि के अनुसार 30 मार्च को प्रतिपदा हैं। प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को सुबह 06:57 पर प्रारंभ होगी और 30 मार्च को 03:19 तड़के समाप्त होगी। 

गुड़ी पड़वा: हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा भी चैत्र प्रतिपदा तिथि को रहता है। यह 30 मार्च उदयातिथि से मनाया जा जाएगा ।

इन उपायों से होगा विशेष लाभ

·       प्रातःकाल हनुमान मंदिर में जाकर आटे के दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होगी ग्रहण और शनि के प्रभाव से बचाव होगा । 

·       शनि मंदिर में जाकर छायादान करने हेतु  एक कटोरी में सरसो का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और कटोरी को शनि महाराज के चरणों में अर्पित करे  गरीबों और दिव्यांगों को भरपेट भोजन कराएं। अथवा गो शाला जाकर गाय को पीला  चारा खिलाएं।

·       निर्धन अथवा महिलाओ को भगवान विष्णु के भोग लगे हुए श्रीखंड, और मीठे चावल  वितरित करे  ।

·       माता दुर्गा को सुंदर सी चुनरी अर्पित करके उनकी मनपसंद का भोग उन्हें अर्पण करें और गरीब कन्याओं को भोजन कराएं या मीठा प्रसाद बांटें। 

 

Wednesday, March 19, 2025

वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण के बीच 29 मार्च को शनि करेंगे कुंभ से मीन राशि में प्रवेश

 वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण के बीच 29 मार्च को शनि करेंगे कुंभ से मीन राशि में प्रवेश

ज्योतिषशास्त्र में शनि को विशेष स्थान प्राप्त है एवं  न्याय का ग्रह माना  गया है। इसलिए जब भी शनि का राशि परिवर्तन होता है तो उसका एक बड़ा और । मुख्यतः शनि को पापी और क्रूर ग्रह कहा जाता है अतः  शनि के राशि परिवर्तन को ज्योतिष में बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानते हुए इसके व्यापक प्रभाव देखने को मिलते  है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर शनि देव अपनी स्वाभाविक गति से संचरण के क्रम में लगभग ढाई वर्ष एक राशि में विद्यमान रहतें है, उसके बाद राशि परिवर्तन कर अगली राशि में प्रवेश करते है। वैदिक पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की भारतीय समयानुसार शनिवार ,29 मार्च 2025 रात्रि 11 बजकर 1 मिनट पर शनि गोचर करते हुए  कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे जहाँ  ये अलग अलग अवस्थाओ यथा वक्री, अस्त और मार्गी रहते हुए  ढाई वर्ष  तक अवस्थित  रहेंगे।  इस प्रकार शनि के  मीन राशि में प्रवेश करते ही  मकर राशि पर चल रही साढ़ेसाती समाप्त होकर   मेष राशि पर प्रारंभ होगी साथ ही मीन राशि पर साढ़ेसाती का द्वितीय  चरण, कुंभ राशि पर अंतिम चरण और मेष राशि पर प्रथम  चरण प्रारंभ  होगा।  कर्क एवं वृश्चिक राशि के जातकों पर ढैया समाप्त होगी जबकि सिंह और धनु राशि वालों पर ढैया की शुरुआत हो जाएगी

ख़ास बात यह भी है कि इसी दिन शनिवार होने के साथ चैत्र माह की अमावस्या तिथि में मीन राशि और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में सूर्य ग्रहण घटित होने जा रहा है साथ ही  इस दौरान, सूर्य, राहु, शुक्र, बुध और चंद्रमा सभी मीन राशि में स्थित होने से  शनि के इस गोचर को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है हांलाकि सूर्य ग्रहण का असर भारत में देखने को नहीं  मिलेगा ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर शनि जब भी मकर, कुंभ और मीन राशि में जाता है तब धरती पर बड़े पैमाने पर भूकंप, बाढ़ और युद्ध के हालात निर्मित होते हैं। खासकर मीन में  जाने पर व्यापक घटनाओं  संकेत हैं ।

राशि अनुसार प्रभाव :-

मेष राशि- शनि  के दसवें और ग्यारहवे  भाव के स्वामी होने से आत्मविश्वास में कमी रहेगी। मन अशांत रहेगा। संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। परिवार का साथ मिलेगा। भवन सुख में वृद्धि होगी। घर-परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।

वृषभ राशि- शनि  के भाग्य और दशम  भाव के स्वामी होने से आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। मानसिक शांति भी रहेगी। फिर भी संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध व विवादों से बचें। माता का सान्निध्य मिलेगा। कारोबार में किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है।

मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि अष्टम और भाग्य स्थान के स्वामी होते हैं और अब शनि का गोचर आपके दशम भाव में होने जा रहा है, इससे मन प्रसन्न तो रहेगा, परंतु धैर्यशीलता में कमी रहेगी। व्यर्थ के क्रोध व विवादों से बचने का प्रयास करें। शैक्षिक कार्यों में कुछ सुधार हो सकता है।

कर्क राशि- कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी होकर अकारक होते हैं और अब शनि का गोचर आपके नवम भाव में होने जा रहा है। कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का गोचर मिला जुला रहने वाला है। अष्टम भाव के स्वामी का नवम भाव में जाने से आपको पैतृक संपत्ति को लेकर कुछ नुकसान हो सकता है।

सिंह राशि-  सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे और सातवें भाव के स्वामी होते हैं और अब शनि का गोचर आपके अष्टम भाव से होने जा रहा है। इस भाव में शनि का गोचर होने से  शनि के ढैया के प्रभाव होगा।  शनि देव का यह गोचर आपको पारिवारिक मामलों में कुछ असफलता प्रदान कर सकता है। इस समय आपके क्रोध की वृद्धि हो सकती है। आपके ऊपर कर्ज बढ़ सकता है।

कन्या राशि- कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पंचम और छठे भाव के स्वामी होते हैं और अब शनि का गोचर आपके सप्तम भाव से होने जा रहा है।  इससे मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। क्रोध व आवेश के अतिरेक से बचें। पारिवारिक समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

तुला राशि- तुला राशि के जातकों के लिए शनि देव चतुर्थ और पंचम भाव के स्वामी होते हैं और अब शनि का गोचर आपके छठे भाव से होने जा रहा है। इससे मन प्रसन्न तो रहेगा, परंतु आत्मविश्वास में कमी रहेगी। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।

वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी होते हैं और शनि का गोचर आपके पंचम भाव से होगा। मन में शांति व प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। कला या संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। पिता का सान्निध्य मिलेगा। नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है।

धनु राशि- धनु राशि के जातकों के लिए शनि दूसरे और तीसरे भाव के स्वामी होते हैं और अब शनि का गोचर आपके चतुर्थ भाव से होगा। इस भाव से व्यक्ति के मानसिक सुख और मां का विचार किया जाता है। इस भाव में शनि का गोचर जब होगा तो आप शनि के ढैया के प्रभाव में आएंगे।

मकर राशि- मकर राशि के जातकों के लिए शनि प्रथम और द्वितीय भाव के स्वामी होते हैं और शनि का गोचर आपके तृतीय भाव में होने जा रहा है। मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी बहुत रहेगा। धैर्यशीलता में वृद्धि होगी। संचित धन में कमी आ सकती है। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है।

कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि प्रथम भाव और द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और शनि का गोचर अब आपके द्वितीय भाव से होने जा रहा है।  इससे आत्मविश्वास भरपूर रहेगा, परंतु बातचीत में संयत रहें। नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं। अफसरों से वैचारिक मतभेद बढ़ सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा। कारोबारी कार्यों में भागदौड़ रहेगी।

मीन राशि-  मीन राशि के जातकों के लिए शनि देव 11 वें और व्यय यानी कि द्वादश भाव के स्वामी होते हैं। अब शनि का गोचर आपके लग्न में ही होने जा रहा है। शनि देव जब आपके लग्न में गोचर करेंगे तो आपकी साढ़े साती का मध्य चरण शुरू होगा ।

 

Monday, March 10, 2025

होलिका दहन पर इस बार रहेगी भद्रा की छाया, चन्द्र ग्रहण का नहीं रहेगा प्रभाव

 

होलिका पर्व  13 को , धुलंडी 14 को मनायी जाएगी, खेले जाएंगे  रंग

होलिका दहन पर इस बार रहेगी भद्रा की छाया, चन्द्र ग्रहण का नहीं रहेगा प्रभाव

सनातन धर्म में होली  से एक दिन पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है । होली  रंगों, उमंग और नई ऊर्जा का पर्व होने के साथ ही  बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है । साथ ही होलिका की अग्नि से आसपास और हमारे जीवन की समस्त नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है । यही वजह है कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में होलिका दहन किया जाता है ।  आमतौर पर सूर्यास्त के बाद होलिका दहन करने की परंपरा है, लेकिन इस बार  भद्रा का निवास मृत्युलोक में होने से  होलिका दहन करने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी ।  वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की फाल्गुन पूर्णिमा तिथि गुरूवार,13 मार्च 2025 को सुबह 10.35 मिनट से प्रारंभ होकर  शुक्रवार,  14 मार्च को दोपहर 12.23 पर समाप्त होगी । इस बार होली पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र,शूल योग का निर्माण हो  रहा है जो शत्रु और रोग शमन में सहायक  है। साथ ही मीन राशि में बुध, शुक्र व राहु का  संचरण एवं कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति को अत्यंत  पुण्यकारी माना जा रहा है ।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

ज्योतिषीय मान्यताओ  एवं वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  होलिका दहन के लिए भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि उत्तम है  एवं  इस बार  चंद्र के  सिंह  राशि में स्थित होने से  भद्रा का निवास मृत्युलोक में माना गया है जो कि  अशुभ व हानिकारक है। मुख्यतः गुरूवार, 13 मार्च को भद्रा पूंछ काल  शाम 06.57 मिनट से रात 08.14 तक रहेगा । इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू हो जाएगा जो रात 10.22 मिनट तक रहेगा  अतः इसी दिन रात्रि  11:26 से 12 :30 मिनट के मध्य होलिका दहन के लिए करीब 1 घंटे का शुभ मुहूर्त है ।इस प्रकार  होलिका दहन  गुरूवार, 13 मार्च को  होगा वही शुक्रवार,14 मार्च को धुलंडी मनायी जाएगी ।

रंगों के त्योहार पर नहीं होगा  चंद्रग्रहण का  प्रभाव

ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर शुक्रवार 14 मार्च को होली पर्व पर रंग खेला जाएगा एवं इसी दिन  सुबह 9 बजकर 27 मिनट से दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक चंद्र ग्रहण भी  रहेगा । इसके प्रभाव को अमेरिका, पश्चिम यूरोप, पश्चिम अफ्रीका, अटलांटिक महासाागर, इटली, फ्रांस, नार्वे, स्वीडन, रूस के पूर्वी भाग में देखा जा सकेगा, किन्तु इसका प्रभाव  सम्पूर्ण भारत में नहीं रहेगा। इस प्रकार  सूतक काल भी  भारत में मान्य नहीं होगा। फिर भी ग्रहण के दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में केतु की युति होने से इस अवधि में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए ।

ये करे उपाय :-

  • अगर आप लंबे समय से आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो होली के दिन माता तुलसी की पूजा आराधना करे  । लाल कपड़े में तुलसी की मंजरी को बांधकर तिजोरी अथवा पर्स में रखे  मान्यता के अनुसार इससे आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है ।
  • वास्तु दोष से मुक्ति पाने के लिए होली के दिन तुलसी पर गुलाल अर्पित करे ।
  • लड्डू गोपाल का विधि विधान पूर्वक अभिषेक करें ।
  • होलिका दहन के समय 11 बार “ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का जाप करें ।
  • जलती हुई होलिका में सात गोमती चक्र अर्पित करें, यह धन संबंधी बाधाओं को दूर करेगा ।
  • नौकरी में अगर बाधा आ रही है या रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, तो होलिका की अग्नि में जौ अर्पित करें और भगवान नारायण का स्मरण करें.