गणेश चतुर्थी पर बन रहा 300 साल बाद
ऐसा दुर्लभ योग
ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग में
गणपति संवारेंगे भक्तो की किस्मत
भाद्रपद
या भाद्रो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया
जाता है। इस दिन से उत्सव की शुरुआत होती है और अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन होता
है। भगवान गणेश को समर्पित यह त्योहार न
सिर्फ देश के
कई राज्यों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है अपितु विदेश में भी इसकी झलक देखने को मिलती है ।
इस वर्ष गणेश
चतुर्थी पर कई ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे
हैं,
जिससे यह त्योहार औए
भी खास हो गया है. हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया है
कि इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023
और 19 सितंबर 2023 दोनों
ही दिवस रहेगी हैं जो की 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे से
शुरू होकर 19 सितंबर को दोपहर 1:43 बजे खत्म
होगी. उदया तिथि मानने वाले लोग 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी मनाएंगे, वहीं
अगर आप उदया तिथि को नहीं मानते हैं तो 18 सितंबर को आप
धुमधाम से गणेश चतुर्थी मना सकते हैं ।
मान्यता के आधार पर
ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील बताते हैं कि
" ये गणेश चतुर्थी बहुत ही दुर्लभ
संयोग बना रही है, क्योकि इस बार 300
सालों बाद तीन योग बन रहे
हैं. जिसमें से एक है ब्रह्म योग, दूसरा है शुक्ल योग और तीसरा
है शुभ योग जो की भक्तो के लिए अत्यंत शुभदायी है
ब्रह्म योग- "ब्रह्मा योग में
ब्रम्हा, विष्णु, और महेश तीनों शक्तियां वहां
पर एक साथ साक्षात मौजूद रहती हैं."
शुक्ल योग- शुक्ल योग में जितने भी जातक
गणेश चतुर्थी में शामिल होते हैं, गणेश जी की आरती पूजन करते
हैं, उनके घर में शुभ ही शुभ होता है.
शुभ योग- शुभ योग यानी गणेश जी के भक्तों के घरों में भी शुभ
लाभ की स्थापना हो जाती है, आमदनी में बरकत अधिक और हानि
कम होती है, और घर में जो भी रहते हैं
स्वस्थ रहते हैं.
इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान गणेश की स्थापना-
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष
की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. ऐसे में ये गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर को मनाया जाएगा. 19 सितंबर को गणपति जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 10:50 मिनट से 12:52 मिनट तक है, अतिशुभ मुहूर्त 12:52 मिनट से 02:56 मिनट तक है. एवं इस समय स्वाति और
विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक लग्न का भी योग है.
गणेश चतुर्थी के दिन नहीं किए जाते हैं चंद्रदर्शन-
शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए। अगर चंद्रमा को देख
लिया को झूठा कलंक लग सकता है। ठीक उसी तरह से जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण को
स्यमंतक मणि चुराने का लगा था। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति ने भूलवश
चंद्रदर्शन कर लिया हो कृष्ण स्यमंतक कथा को पढ़ने या सुनने से भगवान गणेश क्षमा
कर देते हैं।
इस समय भूलकर भी न करें चंद्रदर्शन-
एक दिन पूर्व, वर्जित चंद्रदर्शन का
समय – अपरान्ह 12:39 से रात्रि 08:10 तक
अवधि - 07 घंटे 32
मिनट
चतुर्थी पर वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – प्रातः 09:45
से रात्री 08:44 तक
अवधि - 10 घण्टे 59 मिनट्स
डॉ. संजय गील
साईं एस्ट्रो विज़न सोसायटी , चितोडगढ़
9829747053,7425999259
www.sanjaygeelastrology.com
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