Saturday, September 30, 2023

श्राद्ध पक्ष -2023 :सर्व पितृ अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा (By doing charity on Sarva Pitru Amavasya, you will get special blessings of your ancestors.)

 

श्राद्ध पक्ष -2023

सर्व पितृ अमावस्‍या पर दान-पुण्‍य करने से मिलेगी पितरो की विशेष कृपा

पितृपक्ष की अमावस्‍या इस बार शनिवार 14 अक्टूबर को है। इस दिन पितृ गण वापस देव लोक की ओर प्रस्‍थान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के नाम से दान पुण्‍य करने से वे प्रसन्‍न होकर आपको सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं और आपको सुख समृद्धि प्राप्‍त होती है।  इसको आश्विन कृष्‍ण अमावस्‍या और महालय अमावस्‍या भी कहते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन हमारे पूर्वज विदा होकर वापस देवलोक को प्रस्‍थान कते हैं। इसलिए इस दिन का महत्‍व शास्‍त्रों में बहुत ही खास माना गया है। ऐसी मान्‍यता है कि अगर आप किसी भी कारणवश तिथि पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो सर्वपितृ अमावस्‍या पर उनके निमित्‍त दान-पुण्‍य करने और कुछ उपाय करने से उनको तृप्ति प्राप्‍त होती है और वे आपसे प्रसन्‍न होते हैं। आपको पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्‍त हो जाता है।

गरुड़ पुराण के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे अपने-अपने लोक को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्हीं पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसलिए पितृ अमावस्‍या के दिन अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए
पितृ अमावस्या कब से कब तक

हिंदू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की सर्व पितृ अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जो की इस बार   शुक्रवार 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट से प्रारम्भ होकर  शनिवार ,14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी  इस प्रकार उदय तिथि के आधार पर 14 अक्टूबर को को पितरो संबंधी कार्य करना उतम रहेगा

कुतुप मूहूर्त - सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दिन 12 बजकर 30 मिनट तक 
रौहिण मूहूर्त - दिन में 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 16 मिनट तक 
अपराह्न काल - दिन में 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक ।

पितृ अमावस्या पर क्‍या करें

मुख्यतः इस दिन भगवान विष्णु के हंस स्वरूप की पूजा करें. इस दिन भी पितृगणों के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान किया जाता है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जातक की हर मनोकामना पूरी होती है. सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और यही पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी होता है.  साथ ही पितृ अमावस्‍या पर सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और स्‍वयं अन्‍न जल ग्रहण करने से पहले पितरों को जल दें और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और एक मटकी में जल भरकर वहां रख आएं। पितृ अमावस्‍या पर सुबह उठकर सबसे पहले प‍ितृ तर्पण करें। गाय को हरा चारा या फिर पालक जरूर खिलाएं। गाय को चारा डालने से पितरों को भी संतुष्टि प्राप्‍त होती है। पितृ अमावस्‍या की शाम को पितरों के निमित्त तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाकर रखें। ऐसी मान्‍यता है देवलोक को प्रस्‍थान करने में यह दीपक पितरों की राह रोशन करता है।

पितृ अमावस्‍या पर करें दान-पुण्‍य
पूर्वजों को अमावस्‍या का देवता माना जाता है और इस दिन पितर अपनी संतान के पास आते हैं और उनके निमित्‍त दान-पुण्‍य करने की आस रखते हैं। पितरों को प्रसन्‍न करने के लिए सदैव अच्‍छे कर्म करें और पितृ अमावस्‍या के दिन जरूरतमंदों को दान-पुण्‍य करें। आपके अच्‍छे कर्मों को देखकर और आपके दान धर्म को देखकर पूर्वज आपसे प्रसन्‍न होते हैं और आपको सुखी व संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देते हैं।

इस दिन करें पीपल की पूजा

मान्यता है कि  पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवता और पितरों का वास होता है. इसी कारण से पीपल के पेड़ की पूजा का विधान होता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है अमावस्या तिथि पर पीपल की पूजा करने पर पितृदेव प्रसन्न होते हैं । इस तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए तांबे के लोटे में जल, काला तिल और दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित किया जाता है ।

ये करे विशेष  उपाय

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल की सेवा और पूजा करने से हमारे पितृ प्रसन्न रहते हैं । इस दिन स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें । इसके साथ कोई भी सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लेकर पीपल वृक्ष के नीचे जाकर सर्वप्रथम लोटे की समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित कर दें । इस दौरान 'ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः' मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।

अमावस्या पर ऐसे दें पितरों को विदाई 

जो व्यक्ति पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध आदि नहीं कर पाते या जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हो, उन सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को किया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना उत्तम माना जाता है. अमावस्या के श्राद्ध पर भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है. भोजन कराने और श्राद्ध करने का समय दोपहर होना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें. श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं, उनका तिलक करके दक्षिणा देकर विदा करें. बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें ।

सरल पूजन विधि

1. तर्पण-दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पितरों को अर्पित करें ।
2. पिंडदान-चावल या जौ के पिंडदान, करके भूखों को भोजन दें ।
3. निर्धनों को वस्त्र दें ।
4. भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता ।
5. पूर्वजों के नाम पर करें ये काम जैसे -शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए ।

 ज्योतिष परामर्श हेतु संपर्क करे :-

डॉ. संजय गील

साईं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र , चितौड़गढ़

(A unit of Sai Astrovision Society, Chittorgarh )

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