मौनी अमावस्या पर सिद्धि योग में दान तर्पण करने से होगी , सौभाग्य-संपत्ति में वृद्धि
हिंदू धर्म में माघ अमावस्या अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और पितरों को
समर्पित है। इस अमावस्या को मौनी और माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मौनी
अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे
व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हर साल माघ महीने की अमावस्या तिथि को मौनी
अमावस्या मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के
आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष बुधवार,29 जनवरी 2025
को सिद्धि योग में मौनी अमावस्या मनायी जाएगी । मुख्यतः मौनी
अमावस्या के दिन पितरों की आत्माशांति और मोक्ष दिलाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ
दोष से भी मुक्ति मिलती है और परिवार के सदस्यों पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता
है। इस बार मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ का द्वितीय प्रमुख शाही स्नान भी है। साथ
ही इस दिन मौन व्रत करने से मन काबू में होता है और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है।
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने
बताया की मौनी अमावस्या तिथि मंगलवार, 28
जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट से प्रारम्भ होकर बुधवार,29 जनवरी को शाम को 06
बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी । इस प्रकार मौनी अमावस्या बुधवार , 29 जनवरी को मनाई
जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 25
मिनट से 06 बजकर 18 मिनट
तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 22
मिनट से 03 बजकर 05 मिनट
तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 55
मिनट से 06 बजकर 22 मिनट
तक
अमृत काल- सुबह 08 बजकर 38 मिनट से 10 बजकर 01 मिनट
तक
पितृदोष होगा दूर
पितृ एवं काल सर्प दोष को खत्म करने के लिए माघ अमावस्या के
दिन पितरों का तर्पण करें। साथ ही विशेष चीजों का भोग लगाएं। ऐसा करने से पितृ दोष
दूर होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार,
मौनी अमावस्या के दिन देवी-देवता और पितृ भी पवित्र नदियों में
स्नान करते आते हैं अतः यदि मौनी अमावस्या
के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी स्नान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से
सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
इन उपायों से होगी
सोभाग्य और सम्पति में वृद्धि
माघ अमावस्या के दिन गुड़, तिल,
घी, धन या फिर गर्म कपड़े का दान करें।
मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और धन में
वृद्धि होती है । इसके अलावा व्यक्ति के रुके हुए काम पूरे होते हैं और व्यवसाय में
सफलता हासिल होती है । मौनी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में
स्नान करें। इस दिन स्नानादि के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें और उनकी
पूजा-आराधना करें। मौनी अमावस्या के दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध,
तर्पण और पिंडदान के कार्य जरूर करें। मान्यता है कि इससे पितर
प्रसन्न होते हैं।मौनी अमावस्या के दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी,तुलसी के पौधे और मां गंगा की पूजा
करना चाहिए।
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत या उपवास भी रख सकते हैं।
मान्यता है कि मौनी अमवस्या के दिन व्रत रखने से आत्मसंयम,
मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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