Friday, January 24, 2025

षटतिला एकादशी पर की जायेगी माँ लक्ष्मी और श्री हरी की आराधना

 षटतिला एकादशी पर की जायेगी  माँ लक्ष्मी और  श्री हरी की आराधना  

हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का प्रिय व्रत एकादशी व्रत  प्रति माह  दो बार किया जाता  है। पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रायः धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एक वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और जिस वर्ष अधिक मास पड़ता है तो उस वर्ष एकादशी की संख्या कुल 26 हो जाती हैं।  इसी सम्बन्ध में षटतिला एकादशी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन तिल का उपयोग स्नान, भोग/ प्रसाद, भोजन, दान और तर्पण में करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन तिल का अधिक से अधिक उपयोग करने से जीवन में खुशियां आती है। 

षटतिला एकादशी व्रत-पूजा का शुभ मुहूर्त :

वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष शनिवार, 25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी मनाई जा रही है। 

षटतिला एकादशी तिथि का प्रारम्भ- जनवरी 24 शुक्रवार , 2025 को शाम 07 बजकर 25 मिनट से, 

एकादशी तिथि की समाप्ति- जनवरी 25शनिवार , 2025 को रात्रि 08 बजकर 31 मिनट पर। 

षटतिला एकादशी पारण (व्रत तोड़ने का) समय- रविवार ,26 जनवरी को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक ।

पारण तिथि के दिन द्वादशी का समापन समय- रात 08 बजकर 54 मिनट पर।

षटतिला एकादशी का महत्व

 धार्मिक मान्यतानुसार षटतिला एकादशी के दिन तिल का उपयोग करने तथा दान देने का बहुत महत्व कहा गया है। साथ ही इस दिन तिल से भगवान श्री विष्णु का पूजन करने का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान के समय जल में तिल मिलाकर स्नान करने से जहां आरोग्य अच्छा बना रहता है, वहीं तिल से हवन-तर्पण तथा दानादि करने से पुण्यफल प्राप्त होता है। माना जाता है कि माघ मास में षटतिला एकादशी का उपवास रखने से दरिद्रता, दुर्भाग्य तथा विभिन्न प्रकार के कष्ट दूर होकर समस्त पापों ना नाश तथा मोक्ष प्राप्ति होती है ।

धार्मिक मतानुसार षट्तिला का अर्थ छह तिल होता है, और इसी कारण इस एकादशी का नाम षट्तिला एकादशी पड़ा है। इस दिन व्रतधारी छ: तरीकों से तिल का उपयोग करके भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही इस व्रत-उपवास में तिल का विशेष महत्व होने के कारण भी भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी के पूजन तथा उन्हें तिल के भोग अर्पित करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है। और सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होकर जीवन में वैभव प्राप्त होता है। सुहाग की रक्षा हेतु इस दिन सौभाग्यवती महिलाओं को सौभाग्य की चीजें तथा तिल की खाद्य सामग्री दान करना चाहिए। इससे जीवन में आने वाला बड़े से बड़ा संकट टल जाता है। माघ मास में तपस्वियों को तिल दान करने से कभी नरक के दर्शन नहीं होते हैं और जीवन के सभी संकट दूर होकर मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है।

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