Tuesday, October 22, 2024

DHAN TERAS 2024 -धनतेरस पर त्रिपुष्कर - इंद्र योग में बरसेगी माँ लक्ष्मी एवं कुबेर की कृपा

 

धनतेरस पर त्रिपुष्कर - इंद्र योग में बरसेगी माँ लक्ष्मी एवं कुबेर की कृपा

डॉ. संजय गील 
(N.E.T. PH.D. JYOTISH RATNA)
 

पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से मानी गयी है । सनातन धर्म में धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है जो कि  इस वर्ष मंगलवार, 29 अक्टूबर को है । धनतेरस के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी,कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना की जाती है वही  अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का  अंशावतार माना जाता है एवं  उनके हाथ में अमृत कलश होने की वजह से इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा भी देखने को मिलती  है ।

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है जो कि प्रातः  6 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर  अगले दिन प्रातः  10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा । साथ ही  प्रातः  7 बजकर 48 मिनट से इंद्र योग, वैधृति योग का  उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र एवं  हस्त नक्षत्र में  शुभ  संयोग  का निर्माण  हो रहा है । इसी प्रकार इस दिन  बुध और शुक्र की  युति होने  से लक्ष्मी नारायण राजयोग का निर्माण भी हो रहा है । मान्यता है कि इस विशेष संयोग में  माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने से सुख और समृद्धि में वृद्धि भगवान धन्वंतरि भक्तो को आरोग्य प्रदान करते है ।

धनतेरस शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  इस वर्ष धन्वंतरि पूजा का शुभ समय प्रातः 06:31 बजे से 08:44 बजे तक है । धनतेरस पूजा का समय सर्वश्रेष्ठ समय सांय  06:31 बजे से रात्री 08:12 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 01 घंटा 41 मिनट होगी । मान्यताओ के आधार पर धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की ही  जाती है, जिसमे माता लक्ष्मी, कुबेर  की पूजा अर्चना कर यम के निमित्त की दक्षिण दिशा की ओर दीपदान किया जाता है, जिससे  अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है ।

प्रदोष काल: शाम 6:01 बजे से रात 8:27 बजे तक
वृषभ काल: शाम 7:04 बजे से रात 9:08 बजे तक

खरीदारी का शुभ मुहूर्त –

मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने से धन में 13 गुणा वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार इस  दिन स्वर्ण, चांदी, बर्तन, झाड़ू, श्री यंत्र,चावल,धनिया.झाड़ू, गोमती चक्र,पान के पत्ते , नमक  ,वाहन, प्रॉपर्टी आदि क्रय करना शुभ माना गया है,वही  इसके विपरीत एल्युमिनियम, स्टील, प्लास्टिक, कांच, काले तेल या घी चीनी मिट्टी के बर्तन खरीदने से बचना चाहिये ।   

त्रिपुष्कर योग - प्रातः  सुबह 6 बजकर 31 मिनट से अगले दिन तक 10 बजकर 31 मिनट तक  

अभिजीत मुहूर्त – प्रातः 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक ।

सरल  पूजा विधि

धनतेरस के अवसर पर शुभ समय में पूर्व अथवा उत्तर दिशा में  धन्वंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना कर घी का दीपक प्रज्वलित करें और संध्या के समय द्वार पर दीपक जलाएं । धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का भोग एवं धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी को  कुमकुम, हल्दी, अक्षत, हलवा अथवा खीर का भोग अर्पित  कर मंत्रों का जाप एवं आरती करें ।मान्यता है कि  इस दिन जो भी खरीदे मां लक्ष्मी को अर्पित करने से परिवार में समृद्धि आती है ।

धन्वंतरि देव मंत्र - 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः

कुबेर मंत्र - ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।

FOR MORE INFORMATION 

DR. SANJAY GEEL

PRESIDENT,

 SAI ASTROVISION SOCIETY, CHITTORGARH 

9829747053,7425999259

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