Thursday, October 17, 2024

Karwa Chauth 2024 करवा चौथ पर 24 वर्षो बाद बन रहे महासंयोग में सुहागिनों को मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

 करवा  चौथ पर 24 वर्षो बाद बन रहे महासंयोग में सुहागिनों को  मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

हिन्दू धर्म में प्रति वर्ष  कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रख चंद्रमा की पूजा करती हैं जो कि इस वर्ष रविवार,  20 अक्टूबर 2024 को  रखा जाएगा । करवा चौथ पर भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश और कार्तिकेय जी के अलावा करवा माता की पूजा का भी विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था । इसके अलावा कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था । करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य माना जाता है । 

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की  24 वर्षो बाद करवा चौथ पर दुर्लभ ज्योतिषीय  योगो का निर्माण हो रहा है जो दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यंत शुभ है । ज्योतिषीय गणना के आधार पर करवा चौथ के दिन गजकेसरी, महालक्ष्मी के साथ शश, समसप्तक, बुधादित्य, जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। साथ ही सूर्य और बुध बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे  है। इसी प्रकार  शुक्र के वृश्चिक राशि में आने वह गुरु के साथ मिलकर समसप्तक योग का निर्माण कर रहे हैं। शनि अपनी राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ युति करके गजकेसरी और मिथुन राशि में मंगल के साथ युति करके गजकेसरी राजयोग का निर्माण कर रहे हैं ।इस योग में चंद्रमा को अर्घ्य देने से सुहागिन महिलाओं की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी ।  साथ ही इस दिन चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी नक्षत्र भी करवा चौथ के दिन को और भी खास बना रहा  है । 

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार , 20 अक्टूबर को सुबह छह बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होकर सोमवार , 21 अक्टूबर को प्रातः  चार बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी ।इसी प्रकार 20 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय रात्री 08  बजकर 14  मिनट पर रहेगा । धार्मिक मान्यताओ  के अनुसार सूर्योदय से करीब दो घंटे पहले तक सरगी को किया जा सकता  हैं। इस प्रकार प्रातः तीन बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह चार बजकर 37 मिनट तक का समय सरगी के लिए सर्वोत्तम है ।

सर्वश्रेष्ठ  मुहूर्त- शाम को 05:57 से 07:12 बजे तक ।

व्रत पारण - शाम 06:25 से रात्रि 08:15 बजे तक ।

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:34 तक ।

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:06 से 02:53 तक ।

गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:57 से 06:22 तक ।

निशिथ काल : मध्यरात्रि 11:46 से 12:36 तक ।

ये रखे विशेष ध्यान-

सुहागिने सोलह  श्रृंगार कर पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि विधान से पूजा कर उनको गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करे एवं श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पूरी का भोग लगाये ।  इसी प्रकार  चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आटे का दीपक जलाएं। उस दीपक को अपनी छलनी की ओट में रखें। करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दें। कलश में चांदी का सिक्का और चावल के दाने डालकर अर्घ्य दें साथ छलनी में अपने पति का मुख देखकर पति के हाथों से ही व्रत का पारण करें

करवा चौथ व्रत मंत्र - 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

 

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