Sunday, October 27, 2024

DIWALI 2024 -SHUBH MUHURAT & REMIDIES

 

काल निर्धारण के आधार पर दोनों दिन मनायी जा सकेगी  दिवाली

लक्ष्मीनारायण एवं शश राजयोग में की जाएगी माँ लक्ष्मी की उपासना

सनातन धर्म में  पांच दिवसीय दीपोत्सव के अंतर्गत दिवाली पर्व  कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है ।  इस बार अमावस्या तिथि दो दिवसों के मध्य घटित हो रही है, किन्तु प्रदोष काल के महात्म्य के आधार पर दिवाली पर्व  गुरूवार ,31 अक्टूबर को मनाया जाना ज्यादा शास्त्र सम्मत  है । इसी प्रकार शनिवार ,2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा एवं रविवार 3 नवंबर 2024 भाई दूज पर्व मनाया जा सकेगा ।  

हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष  दिवाली पर 30 सालों के बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है कि कर्मफल के देवता शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर कर  शश राजयोग का निर्माण कर रहे है । इसी प्रकार आयुष्मान योग का निर्माण होने के साथ ही बुध और शुक्र वृश्चिक राशि में धन और सौभाग्य देने वाला ‘लक्ष्मी नारायण योग’ बन रहा  हैं।मान्यता है की  इन सब योग और संयोग का विलय दिवाली पर होने से व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य सुख संतान की प्राप्ति , उत्तम स्वास्थ्य लाभ,पराक्रम वृद्धि और  सर्व बाधा निवारण का संचार होता  हैं । 

लक्ष्मी गणेश पूजन   शुभ मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया अमावस्या गुरूवार ,31 अक्टूबर को सांय  3बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार , 01 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी धार्मिक मान्यताओ के अनुसार की  दीपावली तिथि का निर्धारण का मुख्य प्रत्यय लक्ष्मी पूजा व अर्ध रात्रि की उपासना पर आधारित  है अर्थात  अमावस्या तिथि में अर्ध रात्रि  और स्थिर लग्न मिले तब ही लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ माना गया  है एवं  वृष व सिंह लग्न 31 अक्टूबर 2024  की रात्रि में प्राप्त होंगे अतः इस दिन महालक्ष्मी पूजन अत्यंत उत्तम रहेगा ।  तदापि देश , काल एवं स्थान के आधार पर  शुक्रवार , 1 नवंबर 2024  को भी लक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा   

शुभ मुहूर्त (गुरूवार,31 अक्टूबर 2024 )

सर्वश्रेष्ठ  मुहूर्त : शाम 05:32 से रात्रि 08:51 तक ।

गोधुली मुहूर्त: शाम 05:36 से 06:02 तक।

संध्या पूजा : शाम 05:36 से 06:54 तक।

अमृत काल : शाम 05:32 से 07:20 तक।

निशिथ पूजा काल : रात्रि 11:39 से 12:31 तक। 

प्रदोष काल: शाम 05: 36 से रात्रि 08 :11 तक

वृषभ काल :शाम 06 : 25 से रात्रि 08 : 20 तक । 

सिंह काल : रात्रि 12 : 35 से रात्रि 2 : 49 तक 

शुभ मुहूर्त (शुक्रवार, 1 नवंबर 2024 )

जो जातक महालक्ष्मी पूजन शुक्रवार, 1 नवंबर 2024 को करना चाहते है वे प्रातः दान तर्पण आदि से निवृत होकर शुभ चोघडिये और  सांयकाल  05:03 बजे लेकर 7:57 बजे के बीच महालक्ष्मी पूजन कर सकते हैं ।  यदि बिल्कुल ही शुद्ध समय लेना हो तो शाम 5:33 बजे से 6:17 के बीच का समय उचित रहेगा । 

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त  (शनिवार 2 नवंबर,2024 )

हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुक्रवार 1 नवंबर 2024 को सायं 06 बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगी, वहीं इसका समापन शनिवार 2 नवंबर को रात्रि 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर  गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को की जायेगी।  इस प्रकार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके पश्चात दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से लेकर 05 बजकर 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है।  

भाई दूज शुभ मुहूर्त (रविवार 3 नवंबर,2024 )

कार्तिक मास द्वितीया तिथि का आरंभ शनिवार 2 नवंबर को रात्री  में 8 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा और कार्तिक द्वितीया तिथि रविवार, 3 नवंबर रात्रि 10 बजकर 6 मिनट तक  रहेगी। उदया तिथि आधार पर  भाई दूज का पर्व 3 तारीख को मनाया जाएगा। 3 तारीख को सुबह में 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा अतः भाई दूज के दिन पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगा ।

ये करे विशेष उपाय –

दिवाली पर लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।दिवाली पर  देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घरों साफ-सुथरा  कर मुख्य द्वार को हल्दी और कर्पुर मिश्रित  रंगोली, फूल और दीयों से सजाएं। दिवाली की रात पूजा करने के बाद चांदी के बर्तन में कपूर जलाकर लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। आर्थिक और शारीरिक लाभ हेतु दीपावली की शाम को पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाए। पूजा के समय कच्चे चने की दाल मां लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।इस दिन घर के कोने में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर से दरिद्रता एवं  भूत-प्रेत से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। लक्ष्मी की पूजा के बाद रात्रि जागरण कर विष्णु सहस्त्रनाम एवं कनकधारा स्त्रोत अथवा श्रीसूक्त का पाठ करे ।

 डॉ. संजय गील 

अध्यक्ष 

साईं अस्त्रों विज़न सोसायटी , चितोडगढ़ 

9829747053,7425999259

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