वर्ष 2025 में रहेगा शनि, बृहस्पति एवं मंगल ग्रह का विशेष का प्रभाव
भारतीय समाज में विविधता हर क्षेत्र में देखने को मिलती है शायद इसका प्रमुख कारण भारतीयों की समभाव की भावना ही है जो नवाचार प्रदान करने वाली संस्कृति को अपना लेती है । वास्तव में सनातन संस्कृति में नव सवंत्सर से नवीन वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है , किन्तु कई वर्षो से आंग्ल नववर्ष को भी हम मानते आ रहे है । ज्योतिषीय आधार पर नव आंग्ल वर्ष 2025 में अनेक ज्योतिषीय घटनाए फलित होगी जो आमजन को सीधा ही प्रभावित करेगी । ज्योतिषीय गणना के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की वर्ष 2025 में गुरु, शनि, राहु और केतु राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों, देश और दुनिया पर देखने को मिलेगा। नया वर्ष 2025 में 4 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा। पहले 29 मार्च को शनि का कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर होगा। इसके बाद 14 मई को बृहस्पति का वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर होगा। इसके बाद 18 मई को राहु और केतु का गोचर कुंभ और सिंह राशि में होगा। इसके अलावा मंगल का गोचर भी बड़े बदलाव का कारण बनेगा।
मुख्यतः 29 मार्च, 2025 को शनि बृहस्पति की राशि मीन में गोचर करेंगे तब तक शनिदेव कुंभ राशि में रहकर शश राजयोग का फल देंगे। शश राजयोग के कारण कुछ राशियों के लोगों को असीम लाभ मिलता रहेगा। वर्ष 2025 की शुरुआत में शनि देव शश नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण कर रहे हैं। वर्तमान समय में शनि देव कुंभ राशि पर गोचर कर रहे हैं, कुंभ राशि शनि की मूल त्रिकोण राशि कहलाती है। ज्योतिष मतानुसार शनि का अपनी मूल त्रिकोण राशि में रहना शश नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण करता है। शश योग विशेष दर्जे का राजयोग माना जाता है तथा विशेष फलदाई होता है, वर्ष 2025 के शुरुआती 3 महीनो में यह पंच महापुरुष योग विशेष फल देने वाला होगा। इसी प्रकार ज्योतिष गणना के अनुसार 14 मई 2025 से देव गुरु बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि से मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी हो गोचर रहे हैं। अतिचारी यानी वे अब तेज गति से एक राशि को बहुत कम समय में पार करके पुन: उसी राशि में वक्री लौटेंगे और फिर मार्गी होकर पुन: अगली राशि में चले जाएंगे। ऐसे नए वर्ष 2025 में गुरु के मिथुन राशि में जाने से मित्र राशि के जातको को लाभ मिलेगा ।
नए साल में मंगल ग्रह बनेगा बदलाव का कारण
अंक ज्योतिष के आधार पर वर्ष 2025 मंगल के प्रभाव का वर्ष है जो की अनेक बड़ी घटनाओ एवं परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होगा । मूलतः मंगल क्रिया और ऊर्जा का ग्रह है। इस प्रकार नववर्ष 2025 दुनिया के नजरिए से साहसिक निर्णय, बड़े कार्यो और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत अभियान का वर्ष होगा। मंगल चूंकि सेनापति हैं, इसलिए वह चुनौतियां भी लेकर के आते हैं। इसलिए मंगल की ऊर्जा को बहुत बुद्धिमानी से संभालता आवश्यक हो जाता है।
मान्यताओ के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया कि 2025 का अधिपति मंगल होने से देश और दुनिया में सेना की गतिविधियो में वृद्धि के साथ ही राष्ट्र अध्यक्षों के पास साहस और पराक्रम पहले से कहीं अधिक होगा। विभिन्न समस्याओं से निपटने और साहसिक कदम उठाने के लिए सरकार हरपल तैयार रहेगी । मंगल का प्रभाव जहां एक ओर वीरता को बढ़ाता है, वहीं संघर्ष का कारक भी बन सकता है। इसलिए राष्ट्रअध्यक्षों को शांत रहना होगा। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय से बचना होगा। अगर आप शांत और गंभीर होकर कोई निर्णय लेंगे तो मंगल की उस तीव्र ऊर्जा को आप संतुलित कर पाएंगे ।
इन राशियों पे रहेगी शनि की साढ़े साती और ढैय्या
29 मार्च, 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे । इस दिन शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण मेष राशि पर, दूसरा चरण मीन राशि पर, और तीसरा चरण कुंभ राशि पर शुरू होगा । इसी प्रकार शनिदेव कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे और इसके बाद सिंह और धनु राशि पर शनि की ढैय्या शुरू होगी । शनि की ढैय्या का प्रभाव ढाई साल तक रहता है ।
यह करे विशेष उपाय :-
मंगल स्त्रोत , शनि स्त्रोत एवं गुरु स्त्रोत का नित्य पाठ करे ।
दशरथकृत शनि चालीसा का पाठ करे ।
अनाथ एवं गरीबो की मदद करे ।
स्त्रियों का सम्मान करे ।
केसर के तिलक का प्रयोग करे ।