Tuesday, March 10, 2015

छाया ग्रह राहु एक परिचय

आओ जाने ज्योतिष
छाया ग्रह राहु एक परिचय
श्री गुरुदेवदत्त ।।
आओ जाने ज्योतिष के इस संस्करण में बताया जा रहा है छाया ग्रह राहु के बारे में की इसका कुंडली के विविध भावो में क्या प्रभाव होता है।
साथ विनम्र प्रयास किया जा रहा है राहु रत्न गोमेदक और उपायो के बारें में।
सर्वप्रथम द्वादश भावों में राहुफल
लग्न में राहु हो तो जातक दुष्ट, मस्तक रोगी, स्वार्थी राजद्वेशी, कामी होता है। द्वितीय भाव में हो तो परदेशप्रवासी कम से कम क्रोधी, कामी, संग्रहशील होता है। तृतीय भाव में हो तो भ्रमणशील दृढ़ विवेकी, व्यवसायी होता है। चतुर्थ भाव में हो तो असंतोषी, दुखी, मातृ क्लेष युक्त, क्रूर कपटी, मुख व उदर रोगी होता है। पंचम भाव में हो तो मतिमंद, धनहीन, कुलनाशक, कायकर्ता, झूठ बोलने वाला, शस्त्र प्रिय होता है। छठवें भाव में हो तो पराक्रमी, अरिष्ठनाशक, कमरदर्द से पीडि़त होता है। सातवें भाव में हो तो स्त्री नाशक भ्रमणशील व दुराचारी, दुष्कर्मी होता है। आठवें भाव में हो तो पुष्ट शरीर गुप्तरोगी क्रोधी व्यर्थभाषी मुख व उदर रोगी होता है। नवम भाव में हो तो आलसी, वाचाल, अपव्ययी, ग्यारहवें भाव में हो तो मंद मति, लाभ हीन, परिश्रमी, संतान कम होता है। बारहवें भाव में हो तो विवेकहीन, मतिमंद मूर्ख, परिश्रमी, सेवक व हमेषा चिंताशील रहता है।

राहु शांति हेतु उपाय

यदि राहु अशुभ फल प्रदान कर रहा हो तो निम्न उपाय करें -

काले व नीले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
प्रतिदिन चपाती पर दही चीनी रखकर कौए व काले कुत्ते को खिलायें।
सात कच्चे कोयले राहु का बीजमंत्र बोलते हुए बहते जल में बहायें।
गोमेद परीक्षण विधि

गोमेद रत्न शनिवार को अथवा स्वाति, शतभिषा व रवि पुष्य योग आद्र्रा नक्षत्र में पंचधातु अथवा लोहे की अॅंगूठी में धारण करना चाहिए। गोमेद मध्यमा अॅंगुली में धारण करना चाहिए। धारण करने के बाद बीजमंत्र का जाप व सप्तधान्य कम्बल का दान करना चाहिए।

गोमेद धारण करने के लाभ

गोमेद धारण करने से मुकदमा वाद-विवाद व धन सम्पत्ति की वृद्धि होती है मुकदमा अपने पक्ष में आता है।

विशेष- जिन जातकों को कुण्डली में राहु 1,4,5,7,9,10,वें भाव में हो उन्हें गोमेद धारण करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
राहु के साथ शनि की युति हो तो नीलम पहने।
ॐ साईंराम।।
भवत् सद्भावी
डॉ संजय गील
श्री साई ज्योतिष अनुसंधान केंद्र चितोडगढ़
09829747053

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